Tuesday, November 19, 2013

हम चुपचाप रहकर मूकदर्शक बनके न तो जीने वाले लोग हैं, न ही हम सत्ता को निरंकुश हाथों में जाते देख सकते हैं

मित्रों
दिल्ली में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं
पिछले सभी चुनावों में हम केवल चुनाव कर्मी बनके मूक दर्शक बने रहे हैं और जनता जिसे भी चुने उसको अपना भाग्य विधाता मान कर चुपचाप अपनी नौकरी करते रहे हैं
हममें से अधिकतर मानते हैं यही हमें करना भी चाहिए
कोऊ होए नृप हमें का हानि
चेरी छोड़ का होयब रानी।।
यानि कोई भी राजा बने, हमें क्या हानि, हमें तो नौकर ही रहना है

मित्रों हम डेल्टा  के लोग कभी भी ऐसी पुरातन मानसिकता के लोग नहीं रहे हैं
हम चुपचाप रहकर मूकदर्शक बनके न तो जीने वाले लोग हैं
न ही हम सत्ता को निरंकुश हाथों में जाते देख सकते हैं

सत्ता किसी की भी हो
किसी भी पार्टी की हो
किसी भी तानाशाह के हाथ में हो
उसके गलत निर्णयों को  हम सदा चुनौती देने वाले लोग हैं

कुछ प्रश्न हैं जो अब हमारे सामने हैं
१. हमारी  सबसे बड़ी समस्या 17140 के बाद बंचिंग करके सही पे स्केल देने की थी
इस समस्या पर हम शिक्षकों को लगातार बेवकूफ बनाया गया है
और राज्य एवं केंद्र दोनों में ही बैठी काँग्रेस पार्टी की सरकार ने लगातार पांच वर्षों तक  झूठे आश्वासन देकर हम लोगों का समय बर्बाद किया है

अभी कुछ महीने पहले एक कांग्रेसी विधायक ने भी हम शिक्षकों को न्यू सेक्रिटेरियट में शिक्षा मंत्री के चैम्बर में बुलाकर बेवकूफ बनाया और लगभग सौ शिक्षकों के सामने बेकार के वादे किये जिनमें से एक भी पूरा नहीं किया गया
 
अब हमारे संगठन का सीधा सीधा निर्णय है
हम हर सम्भव कोशिश करके काँग्रेस पार्टी की सरकार का विरोध करेंगे और इसको आगामी चुनाव में हर सम्भव नुकसान पहुंचाएंगे ताकि ऐसी शिक्षक विरोधी सरकार दुबारा सत्ता में न आये

२.अन्ना आंदोलन में हम शिक्षकों ने अपनी ओर से अनेक छात्रों को और शिक्षकों को आंदोलन में भेजा था
तब उद्देश्य भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन मानस की लड़ाई को सम्बल देने का था और हमने बिना किसी स्वार्थ के इस आंदोलन को सहयोग दिया था  

परन्तु समय के साथ अन्ना के सहयोगियों का भी असली चेहरा सामने आता गया है
जो अपने ही साथियों के नहीं हुए हैं वे दिल्ली की  जनता का भला नहीं कर सकते

AAP के बैनर तले काँग्रेस की ही बी-टीम काम रही है
इस पार्टी के मंच पर और इसके नेताओं के साथ नक्सलवादी संगठनों में काम करने वाले लोग,
मानवाधिकार के नाम पर अफजल गुरु और कसाब जैसे आतंकियों की फांसी का विरोध करने वाले कम्युनिस्ट संगठन के लोग,
कश्मीर तथा मणिपुर नागालैंड जैसे राज्यों को इस देश से अलग कराने में लगे हुए अलगाव वादी संगठनों के  लोग ,
मुजफ्फरनगर में दंगा करवाने वाले मुस्लिम कट्टरपंथियों और फतवा जारी करने वाले मुल्ले मौलवियों के गिरोह के साथ साथ अनेक बड़े बड़े काले कारनामे करने वाले लोगों का नाम सामने आने लगा है

और तो और केजरीवाल गैंग सभी छात्रों को स्कूलों में उर्दू पढ़ना अनिवार्य करने की बात करने लगा है
यह मुस्लिम तुष्टिकरण की  वह घटिया राजनीति है जिसने भारत का विभाजन करवाया था और आज भी अनेक निर्दोष नागरिक आतंकवाद के शिकार हो रहे हैं
 हम इस तरह की घटिया बातों का विरोध करते हैं
यह केजरीवाल गैंग जगह जगह सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए बहुत ही गलत भाषा में आरोप लगा रहा है और हमें सुधार देने की धमकी देता घूम रहा है
हम ऐसी असभ्य भाषा का विरोध करते है और अनुरोध करते हैं कि पहले हमारी समस्याओं को सुना जाय कि हम चाहकर भी क्यों बहुत अच्छा नहीं कर पाते जबकि हममें मेधा भी है और क्षमता भी है

३. आज देश गुजरात में एक नए राजनीतिक प्रयोग को देख चुका है
वहाँ अनेक क्षेत्रों के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा विकास हुआ है
आप कभी समय निकाल कर उस गुजरात के किसी एक क्लासरूम का चित्र इंटरनेट से खोजिये जिसमें वोट पड़ते हैं
हर कमरे में लगे हुए सुन्दर ब्लैक बोर्ड कंप्यूटर और सुन्दर दीवारें एक विदेशी क्लासरूम का आभास कराती हैं
हमें और क्या चाहिए
जिस तरह एक महिला को सुन्दर रसोई चाहिए वैसे ही हमें पढने पढ़ाने के लिए एक सुन्दर क्लास रूम तो दीजिये, श्रीमान

५. अंत में बिना किसी लाग लपेट के यही कहना है

हम नरेंद्र मोदी जी के विकास के मॉडल को दिल्ली के स्कूलों में देखना चाहते हैं

हम सभी डेल्टा  के सदस्य आगामी चुनाव में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की  सरकार बने और दिल्ली में डॉ हर्षवर्धन जी के नेतृत्व में एक साफ़ सुथरी सरकार बने इसके लिए अपनी ओर से हर तरह का प्रयास करेंगे
और हम सफल होंगे, पूर्ण विश्वास भी है
यही राष्ट्र हित में है
यही देश हित में है
 

Tuesday, April 30, 2013

Service book details and pay fixation papers of Kamalchand and Pinki uploaded for Stepping up of pay upto 17140 and Anomaly Removal of TGT in Directorate of Education, Delhi

The anomaly arising due to 6th pay commission has to be removed vide many office circulars which were issued from time to time but no concrete steps were taken so far.

The junior officials are getting higher pay than their seniors due to anomaly.

A newly recruited TGT has to be fixed minimum on Rs. 17140 (BP 12540 + GP 4600) if he is being appointed on 01/01/ 2006 or after this date.

This recommendation caused many anomalies in pay fixation of TGT who were recruited or promoted before 01/01/2006.

The date of appointment of Mr. Kamalchand, TGT was on 16/01/2006 and Mrs. Pinki Devi on 03/01/2006 and they were awarded higher pay starts than their seniors.

We all have uploaded the pay –fixation papers of these teachers foe your convenience and you all are suggested to download the papers from the website of DELTA and prepare file for the claim of stepping–up.

The anomaly of all TGT in Delhi has to be rectified on the basis of these two teachers.
This is only for the stepping up of pay of the seniors up to juniors and this is not the end of the problem.
DELTA has demanded BUNCHING with 01 increment after every 02 years as it was suggested by 6th Pay commission.

The pay scales with BUNCHING were first of all displayed by DELTA on its website www.delta.org.in and on its page named as DOWNLOAD in September 2008 all over the country and we got vast support and appreciations from all educationists for suggesting the right way of pay fixations.

DELTA salutes and thanks to all those teachers also who have approached to court and CAT for higher pay start over Rs. 17140 for TGT and we wish them all of the best for getting positive decisions which are eagerly awaited. After stepping up of pay up to juniors we all have to fight for getting BUNCHING  and we hope co-operation from you all.

Sunday, July 1, 2012

All schools will remain closed up to 08 July 2012

All schools will remain closed up to 08 July 2012 due to hot summer days and non- arrival of monsoon in the capital.

All public schools will remain closed too which are called as un-aided recognised schools in the circular flashed on www.edudel.nic.in

It is a general practice that public schools violate these Govt. orders and keep open their schools in extreme cold or summer too.

Friends,

You all are advised to prepare videos and capture photographs of such Public Schools whose buses are plying on roads full with students.

These public schools need a lesson and get prepared with your mobiles and cameras.

Tuesday, June 19, 2012

Online attendance of all schools should be carefully watched daily and collected to nab those who are habituated to bunk their duty

Most of the people, students and RTI activists are suffering in schools due to non-availabilty of Principals and other staff due to summer vacation and their usual tendency to come late or bunk the duty.


The school timings has been changed from 10 AM to 5 Pm for both shifts.

A circular has been sent to all HOS regarding this notification too.

Attention is drawn towards the guidelines issued by Directorate of Education. vide letter dated 14.05.2001 vide which it has been directed that the schools/ offices of both shifts shall remain open from 10:00 am to 5:00 pm (1:00 pm to 1:30 pm – Break) during vacation to attend official works during vacations.

They have to send their online attendance upto 10:30 AM according to the circulars issued by Directorate of Education issued on 12 July 2011.

RTI activists, NGO and members of DELTA are requested to set the trends and tunes according to the chores for sake of the Education and the poor people of the capital.

Online attendance of all schools should be carefully watched daily and collected to nab those who are habituated to bunk their duty.

NDTV is very keen on inviting you to join us











Dear Mr. Madan Mohan Tiwari,
General Secretary (DELTA)

This is in reference to my telephonic conversation with you, NDTV is very keen on inviting you to join us as a part of an interactive audience for the show "Muqabla".

“Muqabala” is an interactive programme on NDTV India. The programme consists of over 60-70 people as audience from different walks of life, expressing their views on the subject of discussion for the week. There would be 4-5 panel members invited to the show who would help steer this discussion along with our anchorperson Mr. Abhigyan Prakash.

I am listing down a few details of the show :
Ø Moderator :Abhigyan Prakash
Ø Date : 06th April , Friday , 2012
Ø Time : 03:30 pm to 05:00 pm
Ø Venue : NDTV, Archana Complex, GK Part-1

Kindly send us the views/questions that you would like to bring out during the course of the show along with your confirmation for the talk show.
Your positive and early response will help us to plan the talk show better.

Thanks and Regards
Manas Arjun
Audience Research Cell
NDTV

Monday, April 9, 2012

सरकारी स्कूलों के छात्र भी देंगे वीकली टेस्ट






नई दिल्ली, जागरण संवाददाता :
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को भी अब वीकली टेस्ट के लिए तैयार रहना होगा। पब्लिक स्कूलों की तरह अब सरकारी स्कूलों में भी वीकली टेस्ट होंगे। सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्मार्ट बनाने की कवायद के तहत शिक्षा निदेशालय यह आदेश जारी किया है। इसमें सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के तहत ही वीकली टेस्ट देने को कहा गया है। वीकली टेस्ट में न केवल सभी विषयों को शामिल किया गया है, बल्कि इसके लिए सप्ताह के दो दिन मंगलवार और बृहस्पतिवार का चयन भी किया गया है। इन दोनों दिनों में स्कूल खुद कक्षाओं को विभाजित करेंगे। शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक (परीक्षा) डॉ. सुनीता एस. कौशिक ने इस बाबत बीते चार अप्रैल को सभी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। कौशिक ने स्कूलों के प्रिंसपल से कहा कि वे न केवल वीकली टेस्ट शुरू करें, बल्कि छात्रों को सीसीई के तहत एसाइनमेंट, प्रोजेक्ट, एक्टिविटीज भी कराएं ताकि उनके अंदर सृजनात्मकता पैदा हो सके। शिक्षा निदेशालय के आदेश के मुताबिक इसी हफ्ते से स्कूलों में वीकली टेस्ट शुरू हो जाएंगे। वीकली टेस्ट में कक्षा 4 से कक्षा 12 तक छात्रों को शामिल किया गया है। टेस्ट के लिए शिक्षा निदेशालय ने अपना एक प्रारूप भी तैयार कर दिया है ताकि बच्चों के प्रदर्शन की भी जांच की जा सके। शिक्षा निदेशालय की इस पहल पर पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा और वंदना कपूर ने बताया कि यह निदेशालय की बहुत ही अच्छी पहल है। आम तौर पर यह देखा जा रहा था कि सरकारी स्कूलों में केवल वार्षिक परीक्षा होने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति कुछ अलगाव हो जाता है। वहीं, पब्लिक स्कूलों में हर सप्ताह टेस्ट होने से कक्षा में बच्चों के बीच बेहतर करने की दिलचस्पी बढ़ती है, जिससे वे पढ़ने के लिए लालायित रहते हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि इस पहल से वाकई सरकारी स्कूलों के बच्चों को फायदा होगा। उन्हें भी हर सप्ताह बेहतर करने की दिलचस्पी बढ़ेगी। आपको बता दें कि राजधानी में सरकारी स्कूलों की संख्या 937 है। यहां 14 लाख के करीब छात्र पढ़ाई करते हैं। कक्षा 4 से कक्षा 12 तक, जिनमें वीकली टेस्ट होंगे उन कक्षाओं में बच्चों की संख्या नौ लाख से अधिक है। शिक्षा निदेशालय इससे पहले खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए राजधानी के सौ स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए चुना था।

Friday, March 23, 2012

सूचना के अधिकार से खुलेंगे रास्ते




सूचना के अधिकार से एक रोचक जानकारी सामने आई है।

शिक्षक संघ के चुनाव ९-१० वर्षों से नहीं हुए है और यही कारण था कि हमलोगों को यह नया शिक्षक संगठन 'डेल्टा ' बनाना पड़ा.

चुनाव नहीं होने के पीछे टुच्ची राजनीति है। इसको केवल इस डर से टाला जा रहा है चूँकि जो आज हैं उनकी जमानत भी नहीं बचेगी.


चुनाव नहीं होने से शिक्षा विभाग में कुछ सरकार समर्थक शिक्षक नेताओं की चांदी हो गयी है। अनेक वर्षों से ये नेता राजनेताओं के साथ घूमते देखे जा रहे हैं। उनके आगे ये शिक्षक हित की कम और अपने हित की बातें अधिक करते हैं।

यहाँ तक भी ठीक था मगर इस नजदीकी का लाभ उठा के शिक्षक नेताओं ने सीनियरटी लिस्ट में मन माफिक जोड़ घटाव करवाया और स्वयं ही बारी से पहले पदोन्नति ले ली।


इससे सीधी भर्ती से 1996 से ही आने वाले और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों का अधिकार मारा गया है।

इस मुद्दे पर तुगलकाबाद के एक वाइस प्रिंसिपल रूपराम मीना ने सराहनीय लड़ाई लड़ी है और उनको सहयोग देने की जरूरत है।

हम समाज को विश्वास दिलाते है कि जो शिक्षक नेता वर्षों से बिना चुनाव कराये मुख्यालय में जमे बैठे हैं और इस तरह सीनियरटी लिस्ट को तोड़ मरोड़ कर स्वयं प्रोमोशन ले रहे हैं उनको सजा जरूर दिलाएंगे।


यह पूरे समाज के साथ किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है और इसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम है।




समाचार को पूरी तरह नहीं छापा गया है मगर बात गंभीर है.

Sunday, December 18, 2011

छात्राओं की सुरक्षा की अनदेखी

महिलाओं की सुरक्षा की दुहाई देनी वाली सरकार इस मामले को लेकर कितनी संजीदा है इसकी बानगी दिल्ली सरकार के स्कूलों से जुड़े एक मामले से हो जाती है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार स्कूली छात्राओं की सुरक्षा की दिशा में पहल करने को तैयार नहीं दिख रही है। शरारती तत्वों के पत्थर का शिकार होकर अपनी एक आंख गंवाने वाली छात्रा के मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को आठ महीने पहले सरकारी कन्या स्कूलों में छात्राओं की देखरेख के लिए दो-दो महिला होम गार्डो की तैनाती का आदेश दिया था लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर दिल्ली सरकार अदालती आदेश को लागू करने की दिशा में पहल नहीं कर रही है। दरअसल इसी साल मार्च महीने में यमुनापार के न्यू सीमापुरी स्थित राजकीय कन्या सर्वोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली छात्रा पर कैंपस के बाहर से किसी ने पत्थर मारा। पत्थर छात्रा की आंख पर लगा। उसे तुरंत जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान धीरे-धीरे उसकी आंख की रोशनी जाती रही। उसके बाद छात्रा के परिजनों ने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई। तीन महीने की सुनवाई के बाद चार मई 2011 को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह पीडि़त छात्रा को मुआवजा के तौर पर तीन लाख रुपये दे। साथ ही कोर्ट ने स्कूल में छात्राओं के असुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए राजधानी के सभी सरकारी कन्या स्कूलों में दो-दो महिला होमगार्ड की तैनाती का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश आए हुए आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ। हाईकोर्ट में मुकदमा लड़ रहे वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि जब इतने संवेदनशील मुद्दे पर दिल्ली सरकार आगे नहीं आ रही है तो फिर अन्य चीजों के बारे में क्या बात की जा सकती है? उन्होंने कहा कि पहले वे दिल्ली सरकार को पत्र लिखेंगे और सरकार ने फिर भी महिला होमगार्ड तैनात नहीं किए तो वो याचिका दायर करेंगे। वहीं सरकारी स्कूल के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि कोर्ट का आदेश काफी अच्छा है और इसे हर हाल में लागू किया जाना चाहिए।

Saturday, October 15, 2011

हमने दिल से काम नहीं किया





शिक्षक दिवस के दिन आर के पुरम सेक्टर-१२ के एक छात्र द्वारा एक शिक्षिका को थप्पड़ मारे जाने की घटना और विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता का कड़ा विरोध करने के लिये एक हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया था।
इसके लिये हमने उस विद्यालय के शिक्षकों के साथ दिल्ली के अनेक विद्यालयों से हस्ताक्षर मंगवाए थे, जिन्हें मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को सौपना था।
मगर आप सभी ने इस दिशा में शुरुआती उत्साह दिखाया और समय बीतने के साथ आपका आक्रोश ठंडा पड़ता चल गया।
हमें उम्मीद से काफी कम हस्ताक्षर मिले और हमें खेद है कि हम आपके अपमान के विरुद्ध हस्ताक्षर जुटाने में कड़ी मेहनत नहीं कर सके।
हमारी रणनीति में कुछ कमी थी और कुछ अति उत्साह भी था।
हम अपने साथ दिल्ली के उतने संगठनों को भी नहीं जोड़ सके जितना हम सोच रहे थे।
कोई बात नहीं... हमने यह तो जाना कि जल्दीबाजी में उठाया गया कदम मजबूती से नहीं उठता.

Our Fourth Glorious Year




DELTA has completed its fourth year of successful service to Educationists.

Congratulations ... to all of you

We have marked our presence in a very different style in education sector from our first day of origin.


We used RTI and legal services of advocates to get our targets finished.


We never tried to do table talk with any officer because they just waste time and never try to take right decisions by their own brain and heart.


We never used tools like Dharna-Pradarshan and strike etc for our demands.


In fact... teachers' unions and its trade unionism was redefined by us.


We used RTI and latest technology like mobiles, SMS, video-conferencing, websites as our tool to unite educationists and used general public from society to work together.


Hundreds of teachers and general public were trained in RTI, RTE and Computers by us in last 4 years.



We united more than 20 NGOs, some eminent social workers, senior advocates, press reporters, TV channels, corporates and people from "Jhuggi jhopdi" too in favour of teachers.



It is really surprising that a large section of society is coming again in favour of teachers and they are understanding the tough working conditions of our schools and the truth that...


These schools are not for children but for....ANIMALS...!


And... we the School teachers are working just like their COWBOYS...ONLY.. !


Yes... a large section of society is knowing the fact that we are innocent but our policy makers are not in right way.


This was our aim and we achieved well.

We all are being heard on many national debates in the capital of India organised by many National and International organisations where problems of teachers were raised boldly before authorities of UNICEF, NCPCR, DCPCR...etc.


We raised our voices boldly that we alone are not responsible for the poor conditions of schools and we were always supported by crowd by open hands.

Our views were seriously supported by many news papers and we always got highest and bigger space in media.



Friends... this all happened by your joint efforts... and many, many CONGRATULATIONS to you all...!

Keep it Up...Bravehearts..!!

RTI needs careful handling



Friends,


See the news published in the Hindustan Daily, New Delhi (15 October 2011).


The order of Hon'ble CIC (Central Information Commision) on social audit of records available in schools needs to be taken carefully।


School authorities have to show all its records to any citizen .


This decision is nice to hear but too hard to practice.


It facilitates a citizen to be alert on transparent administration and expenditures of public money but it needs responsible citizenship too.


On last 30 th September, 60 schools were audited by some persons sent by NGOs and even by some political parties.


It caused many un-desired scenes in schools where some local 'JHOLA CHHAP' leaders tried to dominate their ego over educationist....!


The CIC orders are not in good taste neither it could be accepted.
CIC has diluted the process of filing RTI applications for inspection of records and it is not in favour of anyone.


This decision of CIC to do social audit of schools is against the true spirit of RTI and it MUST be challenged by DIRECTOR EDUCATION in Hon'ble HIGH COURT.
Even the Education Minister Arvinder Singh Lovely was surprised to know how local JHOLA CHHAP leaders of different political parties are now trying to insult teachers on the name of social audit.



यह गुंडागर्दी है... और हमलोग अपने ऊपर किसी की नहीं चलने देंगे...


केंद्रीय सूचना आयोग को इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है...


इसको हाई कोर्ट में चैलेंज किया जाना चाहिए .


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शुभ समाचार ...


मित्रों ,


शिक्षा विभाग ने एक आदेश दिनांक 28-10 -2011 को जारी कर दिया है जिसमें स्पष्ट तौर पर लिख दिया है कि कोई भी एन जी ओ या झोला छाप नेता प्राचार्य की अनुमति के बिना न तो अन्दर आ सकता है न ही किसी तरह की छानबीन कर सकता है। विभाग के सभी अधिकारी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने हमारा मनोबल ऊंचा किया कि हर मुसीबत में वे हमारे साथ हैं।


अब हम उन 'गुंडों' से निपट लेंगे जो एन जी ओ चलाने के नाम पर स्वयं ही सरकारी एजेंसियों से मिलकर 'पब्लिक मनी की बन्दर बाँट में लगे हैं।



जिसे देखो मुंह उठाये स्कूलों में घुस कर शिक्षकों को अपमानित करने में लगा हुआ है।


Tuesday, September 6, 2011

Wednesday, August 24, 2011

छात्रों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागी है

हिंदुस्तान 24/08/2011

(बड़े आकार में पढ़ने के लिये कृपया चित्र पर डबल क्लिक करें)

Saturday, August 13, 2011

क्लर्कों और अधिकारियों पर भी होगी समय से ऑफिस पहुंचने की सख्ती

कर्मचारियों पर चलेगा समय का डंडा



विभूति कुमार रस्तोगी, नई दिल्ली

दैनिक जागरण, 10/08/2011

शिक्षा निदेशालय शिक्षकों के बाद अब कर्मचारियों पर समय का डंडा चलाएगा। किसी भी कीमत पर अब कर्मचारियों की काम के प्रति लापरवाही और उनका बेवक्त आना-जाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी कथन के साथ शिक्षा निदेशालय ने वक्त की पाबंदी के लिए 25 नोडल अधिकारी तैनात किए हैं। लिहाजा अब अगर शिक्षा निदेशालय, शिक्षा जिला कार्यालय, जोन कार्यालय सहित अन्य शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी समय के प्रति लापरवाह पाए गए तो उनकी खैर नहीं होगी। राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति पूरी तरह मैनुअल है और शिक्षक प्राचार्य कमरे में रखे रजिस्टर पर आने-जाने का समय दर्जकर हस्ताक्षर करते हैं। लिहाजा इससे वैसे शिक्षकों का मनोबल बढ़ा रहता है, जो प्राचार्य के करीबी हैं। इसी साठगांठ को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने की घोषणा कर चुकी है। यह योजना अक्टूबर तक लागू होनी है। इसी दौरान शिक्षकों ने भी कर्मचारियों की लापरवाही पर अंगुली उठाई थी और कहा था कि बेलगाम कर्मचारियों पर भी लगाम लगे। हाल ही में शिक्षा निदेशक दीवान चंद ने पहल करते हुए सभी जिला शिक्षा कार्यालयों में औचक छापेमारी की थी। उस दौरान काफी कर्मचारी न केवल गैर हाजिर पाए गए थे, बल्कि दर्जनों देर से कार्यालय पहुंचे थे। शिक्षा निदेशक ने सभी को कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया था और इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पीके त्रिपाठी को दे दी गई थी। दिल्ली सरकार शिक्षा निदेशक की रिपोर्ट के बाद हरकत में आई और आनन-फानन में कर्मचारियों की लेटलतीफी पर लगाम लगाने के लिए 25 नोडल अधिकारी तैनात कर दिए। राजधानी में शिक्षा निदेशालय को छोड़ कुल 12 जिला शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय हैं। इन सभी कार्यालयों में एक-एक नोडल अधिकारी तैनात किया गया है। इसके अलावा शिक्षा निदेशालय में कार्यरत कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने इसे अच्छा कदम बताया है।

Sunday, July 3, 2011

We were called in meeting of CIC on Section 4 implementation




Friends,



DELTA was called in a meeting held under aegis of Central Information Commission on 03/07/2011.
Our General Secretary Madan Mohan Tiwari and Vice President Nawab Singh atttended the meeting.
DELTA convey its heartiest gratitude to CIC for recognising and inviting us as a leading group working in the field of Education and RTI.
You all are requested to monitor all the decisions given by CIC in Education sector and write complaint to us or directly to the CIC if any violation of Section -4 of RTI is noticed.
The invitation letter :-
Dear Friend,
The Central Information Commission has been trying to usher in transparency in the functioning of Government authorities. It is our endeavor to put information which concerns the public at large in the public domain by directing public authorities to put such information on their websites. The Right to Information Act held out a great hope in the form of suo moto disclosures mandated by Section 4. This would increase the transparency and accountability, and is a requirement of Section 4 of the RTI Act. Even though the Commission has issued various orders for putting specific information which concern the public at large, however monitoring compliance of such orders is a big challenge and the Commission is unlikely to have adequate resources to do full justice to this job.



I am hopeful that civil society groups and individuals can assist the Commission in this endeavor by suggesting what kind of information should be disclosed by public authorities on a priority basis and also suggest the format in which the information would be most useful to the citizens.



The information already available on the websites has been possible through input and co-operations of the civil society. I would be happy to meet you to get inputs on how to increase transparency and publication of specific categories of information on government websites for the general public as well as monitoring the actual implementation of these orders. Kindly come with your suggestions and formats of the information you believe should be displayed suo moto by different Delhi Govt. depts.



In this regard I extend an invitation to you to attend a meeting on 3rd July, 2011 at the venue given below.




Regards,



(Shailesh Gandhi)



Information Commissioner



Time: 10.30- 12.30



Venue: Rajendra Prasad Auditorium,



Institute of Secretariat Training and Management (ISTM), Administrative Block,



Old JNU Campus, Olof Palme Marg,



Delhi-110067.



Please confirm your presence through a message or call on 9213155390 or email on rtimonitoring@gmail.com prior to 1st July, 2011.



Office of Information Commissioner Mr. Shailesh Gandhi
कार्यालय सूचना आयुक्त श्री शैलेश गाँधी,
Central Information Commission
केंदीय सूचना आयोग,
Club Building, Opp. Ber Sarai Market,
सभा भवन, बेर सराय बाज़ार के सामने,
Old JNU Campus, New Delhi 110067, INDIA
पुराना जवाहर लाल नेहरु विव्श्वविदयाला कैंपस,
नई दिल्ली - ११००६७ , भारत
Tel No. 91-11-26161796,
दूरभाष क्रमांक : ९१ - ११- २६१६ १७९६



We are a file-less office.

Wednesday, June 29, 2011

Experienced Guest teachers should be appointed again...it is not wise to waste time in another apply, search and appointment





नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ाने का संकट सामने आ सकता है। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए जिन 6000 अतिथि शिक्षकों को बीते साल रखा गया था उन्हें इस साल 31 मार्च को हटा दिया गया है। 6000 अतिथि शिक्षकों में 3000 कंप्यूटर शिक्षक भी शामिल हैं। नया सत्र एक जुलाई के शुरू हो रहा है, लेकिन अभी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मौजूदा समय में बच्चों की संख्या के हिसाब से सरकारी स्कूलों में पहले से ही 8000 से 10 हजार शिक्षकों की कमी है। दरअसल राजधानी में सरकारी स्कूलों की संख्या 937 है। इनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 13 लाख से 14 लाख के बीच है, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए मौजूदा समय में शिक्षकों की संख्या करीब 22 हजार है। ऐसे में बच्चों की संख्या को देखते हुए फिलहाल 8000 से 10 हजार शिक्षकों की कमी है। बीते साल स्थाई नियुक्ति न करके सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कुछ हद बेहतर सुचारू रखने के लिए 6000 अतिथि शिक्षकों को रखा था। एक साल पढ़ाने के दौरान इन शिक्षकों को सरकारी स्कूलों के बारे में अच्छी जानकारी भी हो गई थी, लेकिन 31 मार्च में उन्हें सेवा विस्तार देने के बजाए हटा दिया गया। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि उन अतिथि शिक्षकों को भी पूरी चयन प्रक्रिया के तहत ही रखा गया था। जब उन्हें अनुभव हो गया था तो सरकार उन्हें ही स्थाई कर देती तो बेहतर होता। अब सरकार को फिर से अस्थाई और स्थाई शिक्षकों को रखने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ऐसे में नए सत्र में बच्चों की पढ़ाई तो तब तक प्रभावित होगी। उधर, शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि हालांकि दिल्ली सरकार सात हजार से अधिक शिक्षकों को स्थाई रूप से रखने के लिए पहले ही दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को अनुशंसा पत्र भेज चुकी है। लिहाजा बोर्ड जल्द इसकी प्रक्रिया शुरू करेगा। मौजूदा समय के लिए उनका कहना है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है, अभी वैकल्पिक व्यवस्था क्या करना है।

Tuesday, June 28, 2011

Attendance by Biometric System in DoE... why for teachers only...why not for officers and clerks too...are they being found on their seats..??

बायोमीट्रिक सिस्टम से लगेगी हाजिरी




विभूति कुमार रस्तोगी, नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय और नगर निगम के बाद अब राज्य सरकार अपने सभी स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम (पंचिंग मशीन से हाजिरी) लगाएगी। इससे न केवल लेटलतीफ शिक्षकों पर लगाम लगेगी, बल्कि प्रिंसिपल के खास शिक्षक हाजिरी में गड़बड़ी भी नहीं कर सकेंगे। बायोमीट्रिक सिस्टम को इंटरनेट के जरिए शिक्षा निदेशालय से जोड़ा जाएगा। राजधानी में कुल 937 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें करीब बाइस हजार शिक्षक हैं। मौजूदा व्यवस्था में प्रिंसिपल और शिक्षक रजिस्टर में अपनी हाजिरी लगाते हैं, जिसमें आने और जाने का समय भी दर्ज किया जाता है। रजिस्टर से हाजिरी व्यवस्था में कई खामियां सामने आई हैं। अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि जो शिक्षक प्रिंसिपल के खास होते हैं, वे मनमर्जी से स्कूल आते और जाते हैं। वे अपनी सुविधानुसार ही रजिस्टर में समय दर्ज कर देते हैं। उनका रिकार्ड भी दुरुस्त रहता है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान भी नहीं देता। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने बायोमीट्रिक सिस्टम लगाने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि इससे शिक्षकों की लापरवाही पर अंकुश लगेगा, जिसका सकारात्मक असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा और रिजल्ट में और ज्यादा बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि योजना को जल्द मूर्त रूप दे दिया जाएगा। सभी स्कूलों को कंप्यूटर और इंटरनेट से शिक्षा निदेशालय और क्षेत्रीय कार्यालयों से जोड़ा जाएगा, ताकि स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। उधर, सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत तो किया है, साथ ही कहा कि चूंकि स्कूलों से ज्यादा शिक्षा निदेशालय में लोगों के ज्यादा काम पड़ते हैं। इसलिए शिक्षा निदेशालय के कर्मचारियों के सही समय पर आने और जाने के लिए भी हाजिरी की यही व्यवस्था लागू की जाए।

Thursday, April 28, 2011

No admission test in class IX th





नौवीं दाखिले में नहीं होगी लिखित परीक्षा


नई दिल्ली, जासं : पहली बार ऐसा होगा जब सरकारी स्कूलों में नौवीं दाखिले के लिए कोई लिखित परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। स्कूलों के शिक्षकों और प्रिंसिपलों में दाखिले को लेकर जारी पशोपेश को लेकर दैनिक जागरण में शनिवार को खबर प्रकाशित की गई थी। जिसके बाद शिक्षा निदेशालय ने शनिवार को ही एक सरकुलर जारी कर नौवीं दाखिले के पशोपेश को खत्म कर दिया। शिक्षा निदेशालय की सहायक निदेशक सुनीता कौशिक द्वारा सरकुलर में कहा गया है कि हालांकि हर साल नौवीं में लिखित का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार नौवीं को लेकर पूरी तरह असमंजस स्थिति सरकारी स्कूलों में बनी हुई थी। ऐसे में जैसे ही शनिवार को खबर प्रकाशित की गई उसी दिन शाम को शिक्षा निदेशालय ने भी 23 अप्रैल की तारीख से सरकुलर जारी कर दिया। इस बाबत सभी शिक्षा उप निदेशकों सहित प्रिंसिपलों को आदेश जारी कर दिए गए हैं।

Saturday, April 23, 2011

शिक्षकों को हटाने के बाद खरीदे कंप्यूटर .... कबाड़ से




शिक्षकों को हटाने के बाद खरीदे आठ सौ कंप्यूटर


विभूति रस्तोगी, नई दिल्ली शिक्षा निदेशालय सरकारी स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से उपयोग किए गए आठ सौ कंप्यूटर खरीद रहा है। जबकि पिछले माह ही सरकारी स्कूलों में अनुबंध पर रखे गए सभी कंप्यूटर शिक्षकों को चलता कर दिया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि बिना शिक्षक बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे? यही नहीं, स्कूलों के लिए कंप्यूटरों की खरीदारी भी नियम के विरुद्ध जाकर की गई है। नियमत: स्कूलों के लिए इस्तेमाल किए गए सामान की खरीद नहीं की जा सकती है। साथ ही सामानों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है। शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक नित्यानंद द्वारा जारी दो सरकुलर में कहा गया है कि विभाग ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से राष्ट्रमंडल खेल के दौरान इस्तेमाल किए गए आठ सौ कंप्यूटरों की खरीदारी की है। इन दोनों सरकुलर की प्रति दैनिक जागरण के पास है। करीब एक हजार स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए लिए शिक्षा निदेशालय ने करीब 22 सौ शिक्षकों को अनुबंध पर रखा था। इन सभी शिक्षकों का अनुबंध 31 मार्च को ही खत्म कर दिया गया है। इसके बाद सरकारी स्कूलों के लिए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से इस्तेमाल किए गए आठ सौ कंप्यूटरों की खरीदारी की गई। इन कंप्यूटरों को स्कूलों तक पहुंचाने और इन्हें वहां लगाने की जिम्मेदारी निदेशालय ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए जेस्ट सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी है। खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों के लिए इस्तेमाल किए गए सामानों की खरीदारी नहीं की जा सकती। साथ ही सामानों की खरीदारी के लिए टेंडर प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है। जबकि इन कंप्यूटरों की खरीद में दोनों नियमों की अनदेखी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि किन वजहों से आठ सौ कंप्यूटरों की खरीद में अनियमितता बरती गई? सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इस खरीद पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि आज तक स्कूल में सेकेंड हैंड सामान नहीं लगाया है। यह तो पूरी तरह से सरकारी नियम के विरुद्ध है।

Computers re-purchased from OC of Commonwealth Games despite of CBI inquiries




कबाड़ कंप्यूटर से पढ़ेंगे नौनिहाल


विभूति रस्तोगी, नई दिल्ली राजधानी के सरकारी स्कूलों में बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा, उस कंप्यूटर से लेंगे जिसकी खरीदारी अभी सीबीआइ की जांच के केंद्र में है। जांच के केंद्र में इसलिए है कि ये सभी कंप्यूटर राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान खरीदे गए थे और खेलों के दौरान जो सामान खरीदा गया है, उस पर ज्यादा भुगतान करने का आरोप संबंधित विभागों पर लगा हुआ है। बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती है। विडंबना देखिए कि पहली बार शिक्षा निदेशालय स्कूलों में भेजने के लिए सेकेंड हैंड (कबाड़) सामानों की खरीदारी की है। जो नियमत: गलत है, स्कूलों में आज तक कोई भी सामान सेकेंड हैंड नहीं खरीदा गया है। हैरानी की बात तो यह है कि शिक्षा निदेशालय ने सेकेंड हैंड कंप्यूटरों की खरीददारी उस वक्त की है, जब स्कूलों से कंप्यूटर की शिक्षा देने वाले सैकड़ों शिक्षकों को 31 मार्च को ही चलता कर दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया पर जानकार यहां तक टिप्पणी करते हैं कि आम के आम और गुठलियों के दाम। दरअसल पूरा मामले का खुलासा शिक्षा निदेशालय के दो सरकुलर से हुआ है, जिनकी कॉपी दैनिक जागरण के पास है। सरकुलर शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक नित्या नंद द्वारा जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि विभाग ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से राष्ट्रमंडल खेल के दौरान इस्तेमाल किए गए कंप्यूटरों की खरीददारी की है। इन्हें सभी स्कूलों में लगाने के लिए विभाग ने एक टेंडर प्रक्रिया अपना कर इसकी जिम्मेवारी जेस्ट सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी है। कंपनी के प्रतिनिधि हिमांशु ने बताया कि उन्हें टेंडर सिर्फ स्कूलों में कंप्यूटर पहुंचाने और वहां लगाने का मिला है। इसके अलावा कुछ नहीं। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति ने शिक्षा निदेशालय ने करीब 800 कंप्यूटर खरीदे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि राष्टमंडल खेलों के सामान को खरीदने में इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया हो तो फिर वह सामान स्कूलों में क्यों पहुंचा दिया गया। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि आज तक स्कूल में सेकेंड हैंड (कबाड़) सामान नहीं लगाया है।

सत्ता का नशा सर चढ़ गया है... इस शिक्षा समिति के अध्यक्ष को




बच्चे को दाखिला न दिया तो प्रधानाचार्य जाएंगे जेल


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : प्राथमिक शिक्षा को और बेहतर बनाने की कवायद के तहत एमसीडी ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए सख्त रवैया अपनाने जा रही है। एमसीडी स्कूल के प्रधानाचार्य किसी बच्चे का दाखिला लेने से इनकार करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें जेल तक भेजा जा सकता है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए एमसीडी के शिक्षा विभाग ने फैसला किया है कि बच्चे के दाखिले में लापरवाही होती है तो उसके लिए प्रधानाचार्य को दोषी माना जाएगा। शिक्षा समिति के अध्यक्ष महेंद्र नागपाल ने कहा कि उनके पास कई लोगों ने शिकायत की थी कि उनके बच्चों का टीकाकरण रिपोर्ट न होने या ऐसी अन्य कारणों से एमसीडी स्कूल ने दाखिला देने से मना किया। नियमानुसार स्कूल किसी भी बच्चे को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते। बच्चों को इन परेशानियों से बचाने के लिए ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मन बनाया है। साथ ही एमसीडी स्कूलों में दाखिले की आखिरी तारीख को 31 अगस्त किया गया है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रधानाचार्य को निलंबित करने, तबादला करने के अलावा जेल भी भेजा जा सकता है।

नवीं कक्षा में दाखिले को लेकर पसोपेश में हैं सभी




केवल नौवीं में लिखित परीक्षा से होगा दाखिला


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के कारण इस बार सरकारी स्कूलों में कक्षा छह, सात और आठ में दाखिले के लिए लिखित परीक्षा नहीं हुई। शिक्षा का अधिकार कानून में साफ तौर पर कहा गया है कि कक्षा आठ तक बच्चों को न फेल किया जाएगा और न ही दाखिला देने में आनाकानी की जाएगी। आठवीं तक की कक्षाओं में दाखिले के लिए किसी भी बच्चे की लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी। इस कारण सरकारी स्कूलों में इस बार छठी, सातवीं व आठवीं में बिना लिखित परीक्षा के दाखिले हो रहे हैं। वहीं नौवीं में दाखिले पहले की तरह लिखित परीक्षा से होंगे। अभी सरकारी स्कूलों के शिक्षक और प्रिंसिपल भी नौवीं कक्षा में दाखिले को लेकर पशोपेश में हैं। उन्हें लगता है कि जब आठवीं तक दाखिले के लिए लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी तो नौवीं कक्षा में भी नहीं होगा। वहीं शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि नौवीं में दाखिला की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि अब छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा में दाखिले के लिए सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों को शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

Sunday, April 3, 2011

Confirmation of Membership

इस संगठन की नींव 2007 के शारदीय नवरात्र में रखी गयी थी। देश भर से हजारों शिक्षकों एवं समाजसेवी प्रबुद्ध वर्ग ने इस संगठन से जुड़ने के लिये आवेदन किया परन्तु हम उनको सदस्यता नहीं दे सके। आज ऐसे लोगों की संख्या करीब 18000 है जो हमारे सदस्य बनने के लिये विगत दो-दो वर्षों से लाइन में खड़े हैं। हमारे पास धन देने वालों के अनेक पत्र आते हैं मगर समाज के लिये मुफ्त में समय देने वाले लोग कम ही सामने आते हैं। हमने अपनी नई योजना के तहत अब विद्वान शिक्षक भाइयों को भी 'कंसल्टेंसी फीस ' का भुगतान करने का निर्णय लिया है जो हम नामी वकीलों को दिया करते हैं। चूँकि अब फ्री की समाज सेवा करने वाले लोग बहुत कम मिलते हैं इसलिये इस नई योजना के कारण अनेक लोग सामने आ रहे हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। आप भी अगर 'कंसल्टेंसी' देना चाहते हैं तो हमें लिखें। आप सभी को बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि अब हम अनेक नए लोगों को अपनी सदस्यता दे सकते है। हमने दिसंबर 2010 तक के सभी आवेदनों को स्वीकृत करने का निर्णय किया है। आप सहयोग राशि का भुगतान करके डेल्टा परिवार में शामिल हो सकते हैं। सहयोग राशि के भुगतान हेतु हमें 'write us' पेज पर लिखें।

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We are happy to inform you that DELTA is going to confirm all those persons as our members who had filled online membership form upto December 2010. We have decided recently to pay same 'Consultancy Fees' to qualified teachers also who knows rules, regulations very well and can serve, guide fellow teachers. We usually pay heavy consultancy charges to eminent lawyers to serve educationists but selective members were being benefitted by us. Now you can join the team of Consultants of DELTA if have interest in rules, regulations etc. We were not in a position to approve all persons as our members due to lack of 'Knowledgeful Human Resources'. Now some new qualified Educationists have joined our team. We are now in a position to clear all backlog provisional membership requests which were done upto December 2010. You can join by paying membership contribution/donation. Please 'write us ' to pay the contribution/ donation.

Computer Teachers are shown doors







नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों को हटा दिए जाने से कंप्यूटर की पढ़ाई बिलकुल ठप हो गई है। स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है शिक्षा निदेशालय का यह कदम बेहद गैरजिम्मेदाराना है। उनका कहना है कि एक ओर सरकारी स्कूलों के बच्चों को पब्लिक स्कूलों के बच्चों की तैयार करने के दावे किए जाते हैं वहीं शिक्षा का जरूरी अंग बन चुकी कंप्यूटर की पढ़ाई से सरकारी स्कूलों के बच्चों को महरूम कर दिया गया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से जल्द इस ओर ध्यान देने की बात कही है। बृहस्पतिवार को स्कूलों से अनुबंध पर रखे गए कंप्यूटर शिक्षकों के हटने के बाद जब शुक्रवार और शनिवार को बच्चे स्कूल आए तो उनका कंप्यूटर का पीरियड नहीं हुआ। दरियागंज स्थित सरकारी स्कूल के बच्चों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि वे कंप्यूटर में काफी कुछ सीख चुके थे। कंप्यूटर की पढ़ाई उन्हें अच्छी लग रही थी। लेकिन बीते दो दिन से कंप्यूटर का पीरियड ही नहीं हुआ है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के संगठन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि कंप्यूटर की शिक्षा होने से सरकारी स्कूल के बच्चे भी काफी बेहतर हो गए थे। लगता है कि शिक्षा निदेशालय गंभीरता को समझेगा और टेंडर की प्रक्रिया अपनाएंगे।




(कृपया बड़े आकार में पढ़ने हेतु चित्र पर डबल क्लिक करें)

Saturday, March 19, 2011

परीक्षा में नक़ल एक गंभीर समस्या- ऐसा कहते हैं शिक्षक



Please click this link for reading the news paper (Hindustan Dainik-Hindi 19/03/2011)
(साथ दिए चित्र को बड़े आकार में पढ़ने के लिये इस पर डबल क्लिक करें)

Monday, March 14, 2011

Fire and Safety must be first priority



आग से स्कूलों को बचाने का हो पक्का इंतजाम


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : शिक्षा निदेशालय ने राजधानी के सभी स्कूलों में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम करने का निर्देश दिया है। शिक्षा निदेशक डॉ. पी.कृष्णमूर्ति की तरफ से जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी स्कूल प्रशासन और उप शिक्षा निदेशकों को सख्ती से इन निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी गई है। दरअसल स्कूलों में आग से बचाव के उपाय न होने पर कुछ समय पहले एक अविनाश मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसका जिक्र शिक्षा निदेशक के शुक्रवार को जारी आदेश में भी किया गया है। शिक्षा निदेशक ने कहा है कि जब भी कोई नई स्कूल बिल्डिंग बनाई जाए, उसमें नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया-2005 के आग से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। जो स्कूल चल रहे हैं उनमें स्कूल का दरवाजा इतना बड़ा होना चाहिए कि फायर ब्रिगेड की गाडि़यां आराम से अंदर आ सकें। जिस कक्षा में एक साथ 45 या अधिक बच्चे हों उसमें हर हाल में एक-एक मीटर चौड़े दो दरवाजे होने चाहिए। आपातकालीन लाइट की व्यवस्था स्कूल में होनी चाहिए। स्कूलों में फायर की जांच हर महीने हो। उधर दिल्ली के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की एसोसिएशन गेस्टा के महासचिव राजीव मित्तल व सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का संगठन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि हरियाणा के डबवाली के एक स्कूल में आग से भयानक हादसा हुआ था। इसके बाद बीच-बीच में स्कूल में आग की कई घटनाएं हुई जिसको देखते हुए यह कदम बेहतर है। वहीं उनका कहना है कि बीच-बीच में जब शिक्षा निदेशालय जागता है तो व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाती है फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है। इसे लगातार बनाए रखने की जरूरत है।

Friday, March 4, 2011

Guest teachers extended for one more month


अतिथि शिक्षकों को एक माह का सेवा विस्तार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए जिन अतिथि शिक्षकों (गेस्ट टीचर) को कुछ माह पहले रखा गया था उन्हें शिक्षा निदेशालय ने फिलहाल एक माह का सेवा विस्तार दे दिया है। ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब पांच हजार है। पिछले साल अगस्त-सितंबर में रखे गए इन अतिथि शिक्षकों की सेवा 28 फरवरी को समाप्त हो गई। लिहाजा शिक्षा निदेशालय ने एक सरकुलर जारी कर उनकी सेवा को 31 मार्च तक बढ़ाया है। निदेशालय के सूत्रों की मानें तो इन शिक्षकों को लंबा विस्तार 31 मार्च के बाद दिया जा सकता है। दरअसल राजधानी के करीब 1000 सरकारी स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है। इसके चलते पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ता देख गत वर्ष शिक्षा निदेशालय ने विज्ञापन देकर पांच हजार के करीब अतिथि शिक्षकों भर्ती किए थे। इन्हें 28 फरवरी 2011 तक के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन इसी बीच सप्ताह भर पहले सभी अतिथि शिक्षकों ने जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया और उन्हें न केवल सेवा विस्तार देने की मांग उठाई बल्कि पूर्ण रूप से स्थाई करने की मांग मुख्यमंत्री से की। उनका कहना था कि उनके पास वे सभी शिक्षा हैं जो कानूनन होनी चाहिए। उनकी मांग पर ध्यान देते हुए फिलहाल शिक्षा निदेशालय ने उनका सेवा विस्तार 31 मार्च तक कर दिया है। सूत्रों का साफ कहना कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है और 31 मार्च के बाद सभी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होगी लिहाजा इन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा। मजबूरी में निदेशालय को इन्हीं शिक्षकों से काम चलाना पड़ेगा। सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि जब तक सरकार शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं करती, तब तक इन अतिथि शिक्षकों को हटाना टेढ़ी खीर है। अगर बिना किसी नई व्यवस्था के इन्हें हटाया गया तो बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

Wednesday, March 2, 2011

DELTA goes on war against Black Money... NDTV supports us




एक अत्यंत सुखद समाचार आप सभी मित्रों को.... भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में डेल्टा को एन डी टी वी (NDTV) के रूप में एक नया सहयोगी मिला है। संगठन को NDTV द्वारा अपने एक बहुत ही लोकप्रिय कार्यक्रम 'मुकाबला' में बुलाया गया जिसमें सत्य व्रत चतुर्वेदी (कांग्रेस) अतुल कुमार अनजान (सी पी आई), अनुपमा झा (ट्रांस्पैरेंसी इंटर नेशनल ) तथा बाबा रामदेव पेनलिस्ट के रूप में शामिल थे। एंकर अभिज्ञान प्रकाश अब तक के सर्वोत्तम कार्यक्रम का सञ्चालन करने में सबका सहयोग लेने में सफल रहे। हम सभी शिक्षाविद NDTV के सहयोग के लिये आभारी हैं।


We want to share a happy news with all of you DELTA was called by NDTV to share audience in its very popular programme named as MUQABLA with Political leaders like Satya Vrat Chaturvedi (Congress), Atul Kumar Anjaan (CPI) Anupama Jha (Transparency Internationl) and Baba Ramdev on 26 th February 2011। Learned anchor Abhigyan Prakash successfully navigated the show. We convey our heartiest gratitude to NDTV for providing a national platform to share our views on corruption and black money.

You can enjoy the show by this link too http://www.ndtv.com/video/player/muqabla/video-story/192120

Monday, February 28, 2011

गेस्ट टीचर्स कांट्रेक्ट पीरियड ३१ मार्च तक बढ़ा


Important News

सभी गेस्ट टीचर्स के कांट्रेक्ट को जो केवल आज 28 फरवरी तक था
उसे 31 मार्च 2011 तक बढ़ा दिया गया है।

Saturday, February 26, 2011

फरवरी मार्च में बच्चों की पढ़ाई की कीमत पर जनगणना कितनी उचित





नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: परीक्षाएं सिर पर हैं, मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ी है। वजह बहुत सीधी है। शिक्षकों की ड्यूटी जनगणना में लगी है जिसके नतीजे में बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। बच्चे स्कूल टाइम में भी निठल्ले घूम रहे हैं। आज बदरपुर में तीसरा पहर था और स्कूल के 50 बच्चे बाहर खेल रहे थे। पूछने पर जवाब मिला कि मास्टर जी जनगणना में गए हैं इसलिए हम यहां खेल रहे हैं। हमने स्कूल में जाकर पता किया तो किसी भी कक्षा में शिक्षक नहीं दिखे। एक बरामदे में एक शिक्षक दिखाई दिए, पता चला कि वो नेत्रहीन हैं। उन्होंने बताया कि बाकी सभी जनगणना में गए हैं। वो इसलिए बच गए क्योंकि नेत्रहीन हैं। कमोबेश बाकी स्कूलों का भी यही हाल है। यहां बता दें कि 5 मार्च से ही बोर्ड की परीक्षाएं हैं। जबकि 7 मार्च से अन्य बच्चों की परीक्षाएं हैं। शिक्षकों की जनगणना में ड्यूटी के चलते पिछली दो फरवरी से स्कूलों में पढ़ाई ठप है। बदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास दिल्ली सरकार के तीन स्कूल हैं। जिसमें सुबह व शाम की पाली में छह स्कूल चल रहे हैं। इसमें राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर-1, नंबर 2 व नंबर 3 शामिल हैं। इसी तरह सुबह की पाली में राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय के नाम से तीन स्कूल चल रहे हैं। इन छह स्कूलों में कुल मिलाकर 15 हजार के करीब बच्चे हैं। मगर जनगणना के चलते स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अपराह्न तीन बजे के करीब दैनिक जागरण संवाददाता ने देखा कि पचास के करीब बच्चे स्कूल के बाहर हैं और कई आ जा रहे हैं। इस पर राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर जाकर पता किया तो स्कूल की जिम्मेदारी देख रहे उपप्रधानाचार्य जनगणना कार्य से संबंधित एक बैठक में गए थे। स्कूल में 7 शिक्षक मौजूद थे। जिसमें एक नेत्रहीन थे व दो अस्थमा के मरीज। पूछने पर जवाब मिला कि कुल 49 शिक्षक हैं। जिसमें से 42 जनगणना में लगे हैं। स्कूल में 27 सौ बच्चे हैं, जिन्हें संभाल पाना मुमकिन नहीं है। बच्चों से पूछने पर पता चला कि आज तीन कक्षाओं की पढ़ाई हुई थी। उसके बाद मास्टर जी काम देकर चले गए कि काम पूरा कर लेना हम कल देखेंगे। लेकिन हम लोग कब तक स्कूल में बैठें। यही स्थिति विद्यालय नंबर एक व तीन में भी देखने को मिली। विद्यालय नंबर तीन में 45 सौ बच्चे हैं और 70 शिक्षक। मगर 55 शिक्षक जनगणना ड्यूटी पर। इसी तरह विद्यालय नंबर एक में दो हजार बच्चे हैं और 35 शिक्षक। मगर 28 ड्यूटी पर। ऐसे में कैसे चलें स्कूल। उधर स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कहने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी सुबह के समय जनगणना कार्य करने की है और दोपहर बाद स्कूल में पढ़ाने की। मगर हकीकत में ऐसा संभव नहीं है। मामले में शिक्षकों के लिए काम करने वाले संगठन दिल्ली एजुकेशनिस्ट फॉर लीगल एंड टीचिंग असिस्टेंस के महासचिव मदन मोहन तिवारी कहते हैं कि जनगणना के कारण शिक्षकों की कमी की समस्या पूरी दिल्ली की है। मगर शिक्षक पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं और दोनों काम में संतुलन बैठा रहे हैं।

Wednesday, February 2, 2011

Our Delhi


इस चित्र को यहाँ दिखाने के पीछे केवल यही मंशा है कि उन सभी का ध्यान आकर्षित किया जाय जो किसी न किसी रूप में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं.... नीति निर्माता है।
नैतिक मूल्यों के विकास में स्कूल सिस्टम का अब कोई योगदान नहीं रह गया है। सदियों पुरानी भारतीय परिवार व्यवस्था, ब्रह्मचर्य पालन और नैतिक मूल्यों की बात करना अब मूर्खता हो गयी है, अपने गुरु, माता पिता, बड़े- बुजुर्गों को आदर देना, चर अचर जगत का सम्मान करना ... पिछड़ेपन का प्रतीक बन गया है।
यह चित्र हमें आगाह करता है कि हमारी शिक्षा पद्धति और स्कूल आज के बच्चों को किस दिशा में धकेल रहे हैं।
कितने दुःख की बात है कि हम पहले तो अपने बच्चों को 'एडवांस' और 'स्मार्ट' बनाने के लिये उनकी हरकतों को बढ़ावा देते हैं और जब यही नौजवान माता पिता और गुरुओं का अपमान करते हैं, हमारे हाथ से निकल जाते हैं तो हम इनको कोसने लगते हैं !!!
आज शिक्षा एक महंगा खेल बन कर रह गयी है, लाखों खर्च करने के बाद भी माता पिता बच्चों के कम या ज्यादा कमाने पर उतने दुखी नहीं हैं जितने उनके व्यवहार पर... यही कटु सत्य है।
क्या अब समय नहीं आ गया है कि हम अपने स्कूलों में होने वाले इन बचकानी हरकतों के बारे में कुछ सोचें जिन्हें हम बाल अधिकार और उनके माता पिता के धन बल के चलते ... कुछ कहना नहीं चाहते ??
केवल एक मशीन बन कर रह गए हैं ...आज के शिक्षक।
हम शिक्षा नहीं, ज्ञान नहीं, केवल गत्तों के डब्बों में , कार्टून्स में सूचनाएं भर रहे हैं।

रोक सको तो रोक लो ...यह तो बस एक झांकी है ....कल ऐसे छात्र हर जगह दिखेंगे और हम चुपचाप देखते रहेंगे...उसी ऑटो वाले की तरह जो जीवन यात्रा में केवल पेट के लिये इन यात्रियों को ढो रहा है।
हम क्लास में इनको कुछ नहीं बोलते... हमें झूठे मुकदमों में जेल जाना है क्या?
शिक्षा तंत्र को शिक्षाविदों के हवाले कीजिये, अपनी मिट्टी और मूल्यों को पहचानिए, नहीं तो कल केवल सर के बाल नोचने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा।
ऐसा केवल पड़ोसी के बच्चों के साथ ही नहीं होगा, हमारे साथ भी होगा।



This picture is displayed here only to draw the attention of our policy makers.

The present education system have no interest in development of moral values in our students. Speaking in favour of the centuries old traditions of Indian family system, the 'Brahmacharya' and emphasis on development of moral values in students like showing respect to parents, elders, teachers, all living and non-living things of the world, is outdated now.

This picture shows where our education and schooling is going on.
We first blindly encourage our children to forget our Indian Culture to look advance and smart and later on repent when they disobey and insult their parents.
Many parents spend lakhs of money on so-called 'education' of their wards but it is also a bitter fact that most of them are not happy with the behaviour of their adolescent children.
Is it not a time to think again on school system where such 'childish' acts in classrooms are being ignored on the name of child rights and due to money power?
Teachers are working just like machines now to deliver 'information' and not the 'education'.
They are filling husk in 'cartoons'......ONLY...!!!
Now....these types of pictures are just the beginning...
Stop it and frame the education sytem again....or nothing will be left than to pull your hairs.
"घर से बाहर की फिजा का कुछ तो अंदाजा लगे
खोल कर सारे दरीचे और रोशनदान रख,
तपते रेगिस्तान का लंबा सफ़र कट जाएगा
अपनी आँखों में मगर छोटा सा नखलिस्तान रख,
दोस्ती, नेकी , शराफत, आदमियत और वफ़ा
अपनी छोटी नाव में इतना भी मत सामान रख,
सरकशी पर आ गयी हैं मेरी लहरें ए खुदा
मैं समुंदर हूँ, मेरे सीने में भी चट्टान रख...."
(आलम खुर्शीद)