Friday, March 23, 2012

सूचना के अधिकार से खुलेंगे रास्ते




सूचना के अधिकार से एक रोचक जानकारी सामने आई है।

शिक्षक संघ के चुनाव ९-१० वर्षों से नहीं हुए है और यही कारण था कि हमलोगों को यह नया शिक्षक संगठन 'डेल्टा ' बनाना पड़ा.

चुनाव नहीं होने के पीछे टुच्ची राजनीति है। इसको केवल इस डर से टाला जा रहा है चूँकि जो आज हैं उनकी जमानत भी नहीं बचेगी.


चुनाव नहीं होने से शिक्षा विभाग में कुछ सरकार समर्थक शिक्षक नेताओं की चांदी हो गयी है। अनेक वर्षों से ये नेता राजनेताओं के साथ घूमते देखे जा रहे हैं। उनके आगे ये शिक्षक हित की कम और अपने हित की बातें अधिक करते हैं।

यहाँ तक भी ठीक था मगर इस नजदीकी का लाभ उठा के शिक्षक नेताओं ने सीनियरटी लिस्ट में मन माफिक जोड़ घटाव करवाया और स्वयं ही बारी से पहले पदोन्नति ले ली।


इससे सीधी भर्ती से 1996 से ही आने वाले और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों का अधिकार मारा गया है।

इस मुद्दे पर तुगलकाबाद के एक वाइस प्रिंसिपल रूपराम मीना ने सराहनीय लड़ाई लड़ी है और उनको सहयोग देने की जरूरत है।

हम समाज को विश्वास दिलाते है कि जो शिक्षक नेता वर्षों से बिना चुनाव कराये मुख्यालय में जमे बैठे हैं और इस तरह सीनियरटी लिस्ट को तोड़ मरोड़ कर स्वयं प्रोमोशन ले रहे हैं उनको सजा जरूर दिलाएंगे।


यह पूरे समाज के साथ किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है और इसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम है।




समाचार को पूरी तरह नहीं छापा गया है मगर बात गंभीर है.

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