Monday, April 9, 2012

सरकारी स्कूलों के छात्र भी देंगे वीकली टेस्ट






नई दिल्ली, जागरण संवाददाता :
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को भी अब वीकली टेस्ट के लिए तैयार रहना होगा। पब्लिक स्कूलों की तरह अब सरकारी स्कूलों में भी वीकली टेस्ट होंगे। सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्मार्ट बनाने की कवायद के तहत शिक्षा निदेशालय यह आदेश जारी किया है। इसमें सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के तहत ही वीकली टेस्ट देने को कहा गया है। वीकली टेस्ट में न केवल सभी विषयों को शामिल किया गया है, बल्कि इसके लिए सप्ताह के दो दिन मंगलवार और बृहस्पतिवार का चयन भी किया गया है। इन दोनों दिनों में स्कूल खुद कक्षाओं को विभाजित करेंगे। शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक (परीक्षा) डॉ. सुनीता एस. कौशिक ने इस बाबत बीते चार अप्रैल को सभी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। कौशिक ने स्कूलों के प्रिंसपल से कहा कि वे न केवल वीकली टेस्ट शुरू करें, बल्कि छात्रों को सीसीई के तहत एसाइनमेंट, प्रोजेक्ट, एक्टिविटीज भी कराएं ताकि उनके अंदर सृजनात्मकता पैदा हो सके। शिक्षा निदेशालय के आदेश के मुताबिक इसी हफ्ते से स्कूलों में वीकली टेस्ट शुरू हो जाएंगे। वीकली टेस्ट में कक्षा 4 से कक्षा 12 तक छात्रों को शामिल किया गया है। टेस्ट के लिए शिक्षा निदेशालय ने अपना एक प्रारूप भी तैयार कर दिया है ताकि बच्चों के प्रदर्शन की भी जांच की जा सके। शिक्षा निदेशालय की इस पहल पर पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा और वंदना कपूर ने बताया कि यह निदेशालय की बहुत ही अच्छी पहल है। आम तौर पर यह देखा जा रहा था कि सरकारी स्कूलों में केवल वार्षिक परीक्षा होने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति कुछ अलगाव हो जाता है। वहीं, पब्लिक स्कूलों में हर सप्ताह टेस्ट होने से कक्षा में बच्चों के बीच बेहतर करने की दिलचस्पी बढ़ती है, जिससे वे पढ़ने के लिए लालायित रहते हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि इस पहल से वाकई सरकारी स्कूलों के बच्चों को फायदा होगा। उन्हें भी हर सप्ताह बेहतर करने की दिलचस्पी बढ़ेगी। आपको बता दें कि राजधानी में सरकारी स्कूलों की संख्या 937 है। यहां 14 लाख के करीब छात्र पढ़ाई करते हैं। कक्षा 4 से कक्षा 12 तक, जिनमें वीकली टेस्ट होंगे उन कक्षाओं में बच्चों की संख्या नौ लाख से अधिक है। शिक्षा निदेशालय इससे पहले खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए राजधानी के सौ स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए चुना था।