नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ाने का संकट सामने आ सकता है। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए जिन 6000 अतिथि शिक्षकों को बीते साल रखा गया था उन्हें इस साल 31 मार्च को हटा दिया गया है। 6000 अतिथि शिक्षकों में 3000 कंप्यूटर शिक्षक भी शामिल हैं। नया सत्र एक जुलाई के शुरू हो रहा है, लेकिन अभी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मौजूदा समय में बच्चों की संख्या के हिसाब से सरकारी स्कूलों में पहले से ही 8000 से 10 हजार शिक्षकों की कमी है। दरअसल राजधानी में सरकारी स्कूलों की संख्या 937 है। इनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 13 लाख से 14 लाख के बीच है, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए मौजूदा समय में शिक्षकों की संख्या करीब 22 हजार है। ऐसे में बच्चों की संख्या को देखते हुए फिलहाल 8000 से 10 हजार शिक्षकों की कमी है। बीते साल स्थाई नियुक्ति न करके सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कुछ हद बेहतर सुचारू रखने के लिए 6000 अतिथि शिक्षकों को रखा था। एक साल पढ़ाने के दौरान इन शिक्षकों को सरकारी स्कूलों के बारे में अच्छी जानकारी भी हो गई थी, लेकिन 31 मार्च में उन्हें सेवा विस्तार देने के बजाए हटा दिया गया। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि उन अतिथि शिक्षकों को भी पूरी चयन प्रक्रिया के तहत ही रखा गया था। जब उन्हें अनुभव हो गया था तो सरकार उन्हें ही स्थाई कर देती तो बेहतर होता। अब सरकार को फिर से अस्थाई और स्थाई शिक्षकों को रखने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ऐसे में नए सत्र में बच्चों की पढ़ाई तो तब तक प्रभावित होगी। उधर, शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि हालांकि दिल्ली सरकार सात हजार से अधिक शिक्षकों को स्थाई रूप से रखने के लिए पहले ही दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को अनुशंसा पत्र भेज चुकी है। लिहाजा बोर्ड जल्द इसकी प्रक्रिया शुरू करेगा। मौजूदा समय के लिए उनका कहना है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है, अभी वैकल्पिक व्यवस्था क्या करना है।
Wednesday, June 29, 2011
Tuesday, June 28, 2011
Attendance by Biometric System in DoE... why for teachers only...why not for officers and clerks too...are they being found on their seats..??
बायोमीट्रिक सिस्टम से लगेगी हाजिरी
विभूति कुमार रस्तोगी, नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय और नगर निगम के बाद अब राज्य सरकार अपने सभी स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम (पंचिंग मशीन से हाजिरी) लगाएगी। इससे न केवल लेटलतीफ शिक्षकों पर लगाम लगेगी, बल्कि प्रिंसिपल के खास शिक्षक हाजिरी में गड़बड़ी भी नहीं कर सकेंगे। बायोमीट्रिक सिस्टम को इंटरनेट के जरिए शिक्षा निदेशालय से जोड़ा जाएगा। राजधानी में कुल 937 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें करीब बाइस हजार शिक्षक हैं। मौजूदा व्यवस्था में प्रिंसिपल और शिक्षक रजिस्टर में अपनी हाजिरी लगाते हैं, जिसमें आने और जाने का समय भी दर्ज किया जाता है। रजिस्टर से हाजिरी व्यवस्था में कई खामियां सामने आई हैं। अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि जो शिक्षक प्रिंसिपल के खास होते हैं, वे मनमर्जी से स्कूल आते और जाते हैं। वे अपनी सुविधानुसार ही रजिस्टर में समय दर्ज कर देते हैं। उनका रिकार्ड भी दुरुस्त रहता है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान भी नहीं देता। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने बायोमीट्रिक सिस्टम लगाने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि इससे शिक्षकों की लापरवाही पर अंकुश लगेगा, जिसका सकारात्मक असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा और रिजल्ट में और ज्यादा बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि योजना को जल्द मूर्त रूप दे दिया जाएगा। सभी स्कूलों को कंप्यूटर और इंटरनेट से शिक्षा निदेशालय और क्षेत्रीय कार्यालयों से जोड़ा जाएगा, ताकि स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। उधर, सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत तो किया है, साथ ही कहा कि चूंकि स्कूलों से ज्यादा शिक्षा निदेशालय में लोगों के ज्यादा काम पड़ते हैं। इसलिए शिक्षा निदेशालय के कर्मचारियों के सही समय पर आने और जाने के लिए भी हाजिरी की यही व्यवस्था लागू की जाए।