Thursday, January 1, 2009

नव वर्ष की शुभकामनाएं

नव वर्ष हम सभी के लिये नई जिम्मेदारियां लेकर आया है। देखते ही देखते हम उस राह पर बहुत आगे निकल चुके हैं जो हम सभी ने चुना था। हमने संकल्प लिया था, अपनी सही नीतियों और विचारों को ईमानदारी से अपने लोगों के बीच रखने का। हमें पूरा यकीन था कि भारत धर्म और अधर्म की परिभाषा समझता है। संघर्ष करने वालों को भले ही कुछ परेशानियाँ सहनी पड़े मगर वो जज्बा अभी मरा नहीं है। आज हमारे साथ अनेकों दीये जल पड़े हैं। गौहाटी से लेकर गुजरात तक और पटियाला से लेकर पांडिचेरी तक अब हर जगह डेल्टा के लोग हैं। दोस्तों, हम सभी काम करते रहने में विश्वास रखते हैं। एक छोटे से दीये की तरह, चुपचाप पूरी ताकत के साथ सर उठा के जलते रहो, बस। एक छोटे से झरने की तरह बह निकलो, साफ़ स्वच्छ जल ह्रदय में लिए। पूरी ताकत के साथ चल पड़ों अज्ञात राहों पर। अखंड ताकत और विश्वास के साथ अनेक धाराएँ आ मिलेंगी। एक दिन एक महान डेल्टा बनाकर वही झरना समुद्र में जा मिलेगा। मगर पीछे छोड़ जायेगा वो ढेर सारी जमीं जिसमें सभ्यताएं पैदा होंगी। तभी पूरी होगी तेरी आराधना ... राह में छोटी चट्टानें रास्ता रोकें तो सर झुका के पानी की तरह किनारे से बह निकलो, मगर यात्रा तो पानी की न कभी रुकी है ना रुकेगी। केवल उन शिक्षाविदों को खोजें जिनके अन्दर भारतीय ऋषि महर्षियों की उद्दात्त परम्परा को जिंदा रखने की कुछ ललक,कुछ 'सनक' बची हुई है। पेट पालने के लिए शिक्षावृति अपनाने वालों से तो दूर ही रहना है। ऐसी शिक्षावृति करने वालों से तो भिक्षावृति करने वाले कहीं अधिक स्वाभिमानी होते हैं। ऐसे मरे हुए साँप गर्दन में टाई की तरह नहीं लटकाना है। फिलहाल तो नए वर्ष पर यही संदेश है। कुछ चुनौतियाँ मिली हैं जैसे ग़लत तरीके से वेतन निर्धारण तथा अर्जित अवकाश को रद्द करना। मगर दोस्तों, हमें पहले कौरव सभा में बैठे भीष्म पितामहों तथा दुर्योधनों के अन्न पर पलने वालों द्रोणाचार्यों, दोनों का ख्याल रखना पड़ता है। आप बस सेना गढे चलें , कोल भील रीछ वानर और 'शिखंडियों' तक की....
हम नया इतिहास बनायेंगे और इन दलित, वंचित, शोषित नामों को भी नया अर्थ देंगे....अब नहीं कटेगा अंगूठा किसी स्कूल में एकलव्य का .....
"समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं ,समय लिखेगा उनका भी अपराध..."

नव वर्ष 2009 आप सभी के लिए मंगलमय हो