Thursday, April 28, 2011

No admission test in class IX th





नौवीं दाखिले में नहीं होगी लिखित परीक्षा


नई दिल्ली, जासं : पहली बार ऐसा होगा जब सरकारी स्कूलों में नौवीं दाखिले के लिए कोई लिखित परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। स्कूलों के शिक्षकों और प्रिंसिपलों में दाखिले को लेकर जारी पशोपेश को लेकर दैनिक जागरण में शनिवार को खबर प्रकाशित की गई थी। जिसके बाद शिक्षा निदेशालय ने शनिवार को ही एक सरकुलर जारी कर नौवीं दाखिले के पशोपेश को खत्म कर दिया। शिक्षा निदेशालय की सहायक निदेशक सुनीता कौशिक द्वारा सरकुलर में कहा गया है कि हालांकि हर साल नौवीं में लिखित का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार नौवीं को लेकर पूरी तरह असमंजस स्थिति सरकारी स्कूलों में बनी हुई थी। ऐसे में जैसे ही शनिवार को खबर प्रकाशित की गई उसी दिन शाम को शिक्षा निदेशालय ने भी 23 अप्रैल की तारीख से सरकुलर जारी कर दिया। इस बाबत सभी शिक्षा उप निदेशकों सहित प्रिंसिपलों को आदेश जारी कर दिए गए हैं।

Saturday, April 23, 2011

शिक्षकों को हटाने के बाद खरीदे कंप्यूटर .... कबाड़ से




शिक्षकों को हटाने के बाद खरीदे आठ सौ कंप्यूटर


विभूति रस्तोगी, नई दिल्ली शिक्षा निदेशालय सरकारी स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से उपयोग किए गए आठ सौ कंप्यूटर खरीद रहा है। जबकि पिछले माह ही सरकारी स्कूलों में अनुबंध पर रखे गए सभी कंप्यूटर शिक्षकों को चलता कर दिया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि बिना शिक्षक बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे? यही नहीं, स्कूलों के लिए कंप्यूटरों की खरीदारी भी नियम के विरुद्ध जाकर की गई है। नियमत: स्कूलों के लिए इस्तेमाल किए गए सामान की खरीद नहीं की जा सकती है। साथ ही सामानों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है। शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक नित्यानंद द्वारा जारी दो सरकुलर में कहा गया है कि विभाग ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से राष्ट्रमंडल खेल के दौरान इस्तेमाल किए गए आठ सौ कंप्यूटरों की खरीदारी की है। इन दोनों सरकुलर की प्रति दैनिक जागरण के पास है। करीब एक हजार स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए लिए शिक्षा निदेशालय ने करीब 22 सौ शिक्षकों को अनुबंध पर रखा था। इन सभी शिक्षकों का अनुबंध 31 मार्च को ही खत्म कर दिया गया है। इसके बाद सरकारी स्कूलों के लिए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से इस्तेमाल किए गए आठ सौ कंप्यूटरों की खरीदारी की गई। इन कंप्यूटरों को स्कूलों तक पहुंचाने और इन्हें वहां लगाने की जिम्मेदारी निदेशालय ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए जेस्ट सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी है। खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों के लिए इस्तेमाल किए गए सामानों की खरीदारी नहीं की जा सकती। साथ ही सामानों की खरीदारी के लिए टेंडर प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है। जबकि इन कंप्यूटरों की खरीद में दोनों नियमों की अनदेखी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि किन वजहों से आठ सौ कंप्यूटरों की खरीद में अनियमितता बरती गई? सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इस खरीद पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि आज तक स्कूल में सेकेंड हैंड सामान नहीं लगाया है। यह तो पूरी तरह से सरकारी नियम के विरुद्ध है।

Computers re-purchased from OC of Commonwealth Games despite of CBI inquiries




कबाड़ कंप्यूटर से पढ़ेंगे नौनिहाल


विभूति रस्तोगी, नई दिल्ली राजधानी के सरकारी स्कूलों में बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा, उस कंप्यूटर से लेंगे जिसकी खरीदारी अभी सीबीआइ की जांच के केंद्र में है। जांच के केंद्र में इसलिए है कि ये सभी कंप्यूटर राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान खरीदे गए थे और खेलों के दौरान जो सामान खरीदा गया है, उस पर ज्यादा भुगतान करने का आरोप संबंधित विभागों पर लगा हुआ है। बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती है। विडंबना देखिए कि पहली बार शिक्षा निदेशालय स्कूलों में भेजने के लिए सेकेंड हैंड (कबाड़) सामानों की खरीदारी की है। जो नियमत: गलत है, स्कूलों में आज तक कोई भी सामान सेकेंड हैंड नहीं खरीदा गया है। हैरानी की बात तो यह है कि शिक्षा निदेशालय ने सेकेंड हैंड कंप्यूटरों की खरीददारी उस वक्त की है, जब स्कूलों से कंप्यूटर की शिक्षा देने वाले सैकड़ों शिक्षकों को 31 मार्च को ही चलता कर दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया पर जानकार यहां तक टिप्पणी करते हैं कि आम के आम और गुठलियों के दाम। दरअसल पूरा मामले का खुलासा शिक्षा निदेशालय के दो सरकुलर से हुआ है, जिनकी कॉपी दैनिक जागरण के पास है। सरकुलर शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक नित्या नंद द्वारा जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि विभाग ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से राष्ट्रमंडल खेल के दौरान इस्तेमाल किए गए कंप्यूटरों की खरीददारी की है। इन्हें सभी स्कूलों में लगाने के लिए विभाग ने एक टेंडर प्रक्रिया अपना कर इसकी जिम्मेवारी जेस्ट सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी है। कंपनी के प्रतिनिधि हिमांशु ने बताया कि उन्हें टेंडर सिर्फ स्कूलों में कंप्यूटर पहुंचाने और वहां लगाने का मिला है। इसके अलावा कुछ नहीं। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति ने शिक्षा निदेशालय ने करीब 800 कंप्यूटर खरीदे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि राष्टमंडल खेलों के सामान को खरीदने में इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया हो तो फिर वह सामान स्कूलों में क्यों पहुंचा दिया गया। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि आज तक स्कूल में सेकेंड हैंड (कबाड़) सामान नहीं लगाया है।

सत्ता का नशा सर चढ़ गया है... इस शिक्षा समिति के अध्यक्ष को




बच्चे को दाखिला न दिया तो प्रधानाचार्य जाएंगे जेल


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : प्राथमिक शिक्षा को और बेहतर बनाने की कवायद के तहत एमसीडी ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए सख्त रवैया अपनाने जा रही है। एमसीडी स्कूल के प्रधानाचार्य किसी बच्चे का दाखिला लेने से इनकार करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें जेल तक भेजा जा सकता है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए एमसीडी के शिक्षा विभाग ने फैसला किया है कि बच्चे के दाखिले में लापरवाही होती है तो उसके लिए प्रधानाचार्य को दोषी माना जाएगा। शिक्षा समिति के अध्यक्ष महेंद्र नागपाल ने कहा कि उनके पास कई लोगों ने शिकायत की थी कि उनके बच्चों का टीकाकरण रिपोर्ट न होने या ऐसी अन्य कारणों से एमसीडी स्कूल ने दाखिला देने से मना किया। नियमानुसार स्कूल किसी भी बच्चे को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते। बच्चों को इन परेशानियों से बचाने के लिए ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मन बनाया है। साथ ही एमसीडी स्कूलों में दाखिले की आखिरी तारीख को 31 अगस्त किया गया है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रधानाचार्य को निलंबित करने, तबादला करने के अलावा जेल भी भेजा जा सकता है।

नवीं कक्षा में दाखिले को लेकर पसोपेश में हैं सभी




केवल नौवीं में लिखित परीक्षा से होगा दाखिला


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के कारण इस बार सरकारी स्कूलों में कक्षा छह, सात और आठ में दाखिले के लिए लिखित परीक्षा नहीं हुई। शिक्षा का अधिकार कानून में साफ तौर पर कहा गया है कि कक्षा आठ तक बच्चों को न फेल किया जाएगा और न ही दाखिला देने में आनाकानी की जाएगी। आठवीं तक की कक्षाओं में दाखिले के लिए किसी भी बच्चे की लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी। इस कारण सरकारी स्कूलों में इस बार छठी, सातवीं व आठवीं में बिना लिखित परीक्षा के दाखिले हो रहे हैं। वहीं नौवीं में दाखिले पहले की तरह लिखित परीक्षा से होंगे। अभी सरकारी स्कूलों के शिक्षक और प्रिंसिपल भी नौवीं कक्षा में दाखिले को लेकर पशोपेश में हैं। उन्हें लगता है कि जब आठवीं तक दाखिले के लिए लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी तो नौवीं कक्षा में भी नहीं होगा। वहीं शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि नौवीं में दाखिला की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि अब छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा में दाखिले के लिए सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों को शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

Sunday, April 3, 2011

Confirmation of Membership

इस संगठन की नींव 2007 के शारदीय नवरात्र में रखी गयी थी। देश भर से हजारों शिक्षकों एवं समाजसेवी प्रबुद्ध वर्ग ने इस संगठन से जुड़ने के लिये आवेदन किया परन्तु हम उनको सदस्यता नहीं दे सके। आज ऐसे लोगों की संख्या करीब 18000 है जो हमारे सदस्य बनने के लिये विगत दो-दो वर्षों से लाइन में खड़े हैं। हमारे पास धन देने वालों के अनेक पत्र आते हैं मगर समाज के लिये मुफ्त में समय देने वाले लोग कम ही सामने आते हैं। हमने अपनी नई योजना के तहत अब विद्वान शिक्षक भाइयों को भी 'कंसल्टेंसी फीस ' का भुगतान करने का निर्णय लिया है जो हम नामी वकीलों को दिया करते हैं। चूँकि अब फ्री की समाज सेवा करने वाले लोग बहुत कम मिलते हैं इसलिये इस नई योजना के कारण अनेक लोग सामने आ रहे हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। आप भी अगर 'कंसल्टेंसी' देना चाहते हैं तो हमें लिखें। आप सभी को बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि अब हम अनेक नए लोगों को अपनी सदस्यता दे सकते है। हमने दिसंबर 2010 तक के सभी आवेदनों को स्वीकृत करने का निर्णय किया है। आप सहयोग राशि का भुगतान करके डेल्टा परिवार में शामिल हो सकते हैं। सहयोग राशि के भुगतान हेतु हमें 'write us' पेज पर लिखें।

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We are happy to inform you that DELTA is going to confirm all those persons as our members who had filled online membership form upto December 2010. We have decided recently to pay same 'Consultancy Fees' to qualified teachers also who knows rules, regulations very well and can serve, guide fellow teachers. We usually pay heavy consultancy charges to eminent lawyers to serve educationists but selective members were being benefitted by us. Now you can join the team of Consultants of DELTA if have interest in rules, regulations etc. We were not in a position to approve all persons as our members due to lack of 'Knowledgeful Human Resources'. Now some new qualified Educationists have joined our team. We are now in a position to clear all backlog provisional membership requests which were done upto December 2010. You can join by paying membership contribution/donation. Please 'write us ' to pay the contribution/ donation.

Computer Teachers are shown doors







नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों को हटा दिए जाने से कंप्यूटर की पढ़ाई बिलकुल ठप हो गई है। स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है शिक्षा निदेशालय का यह कदम बेहद गैरजिम्मेदाराना है। उनका कहना है कि एक ओर सरकारी स्कूलों के बच्चों को पब्लिक स्कूलों के बच्चों की तैयार करने के दावे किए जाते हैं वहीं शिक्षा का जरूरी अंग बन चुकी कंप्यूटर की पढ़ाई से सरकारी स्कूलों के बच्चों को महरूम कर दिया गया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से जल्द इस ओर ध्यान देने की बात कही है। बृहस्पतिवार को स्कूलों से अनुबंध पर रखे गए कंप्यूटर शिक्षकों के हटने के बाद जब शुक्रवार और शनिवार को बच्चे स्कूल आए तो उनका कंप्यूटर का पीरियड नहीं हुआ। दरियागंज स्थित सरकारी स्कूल के बच्चों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि वे कंप्यूटर में काफी कुछ सीख चुके थे। कंप्यूटर की पढ़ाई उन्हें अच्छी लग रही थी। लेकिन बीते दो दिन से कंप्यूटर का पीरियड ही नहीं हुआ है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के संगठन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि कंप्यूटर की शिक्षा होने से सरकारी स्कूल के बच्चे भी काफी बेहतर हो गए थे। लगता है कि शिक्षा निदेशालय गंभीरता को समझेगा और टेंडर की प्रक्रिया अपनाएंगे।




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