Wednesday, October 14, 2009

आप इस तरह का डिस्पले बोर्ड बनवाने में सहायता करें

दोस्तों, आपको याद होगा कि 'पारदर्शिता' नामक एन जी ओ ने अपील की थी कि स्कूलों में एक डिस्पले बोर्ड होना चाहिए जिसमें बच्चों के लिए चलायी जा रही सभी कल्याण योजनाओं की जानकारी हो।

केंद्रीय सूचना आयोग ने अपील स्वीकार की थी और शिक्षा विभाग को आदेश दिया था कि इसका पालन हो।

हमें इस आदेश के अनुपालन में सहयोग करना है तथा इसकी मोनिटरिंग भी करनी है कि ये वास्तव में लग रहे हैं या नहीं!

आप इसी तरह का डिस्प्ले बोर्ड बनवाने में सभी प्रधानाचार्यों को सहयोग दें।

(कृपया साथ दिए सैम्पल चित्र पर डबल क्लिक करें और इसका प्रिंट स्कूलों में बाँट दें)

Sunday, October 11, 2009

सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य बने जन सूचना अधिकारी

दोस्तों यह अपनी विचार धारा की एक महान जीत है कि सरकारी स्कूलों में जो कुछ भी हो रहा है उसे सबको जानने का हक़ है । इस देश की जनता ही हमारी असली मालिक है। ये स्कूल उनके हैं और हम उनके नौकर हैं। बस....

(छाया चित्र को पढने के लिए इस पर डबल क्लिक करें)

Friday, October 9, 2009

A Milestone victory

Today the Hon'ble Central Information Commissioner Shailesh Gandhi directed the Directorate of Education, Govt of Delhi to appoint PIO or APIO in every Government run primary, secondary or senior secondary school on the appeal filed by our General Secretary Madan Mohan Tiwari. The appeal was heard by the Hon'ble Judge who appreciated and allowed such nice RTI appeals coming from teachers of Govt schools who wish to promote transparency and accountability in the system.
Now the public and teachers may file RTI applications directly in any Government school regarding status of different welfare schemes, maintenance of basic amenities like water electricity, desks and the expenditure done, syllabus covered by teachers, classes taken by principals, practicals done, scholarship, books, uniform, shoes distribution, laadli scheme for girl child, admission-withdrawal, mid-day meal, completion of service books, payment of arrears etc...

This is a milestone victory

of DELTA which is fighting

against corruption in

education sector.

(Please double-click the image to read and save the decision)

Wednesday, October 7, 2009

हर तरफ़ धुआं ही धुआं है..



तो हर तरफ़ लगी है मगर जब किसी स्कूल में लगती है तो सबसे पहले यही कहते हैं लोग कि उस समय हम टीचरों ने क्या किया। हमसे जमाना सब कुछ बन जाने की उम्मीद करता है।
त्वमेव टीचर, च स्वीपर त्वमेव,
त्वमेव देश के नींव बिल्डर च
फायर एक्स्तिनगीजर त्वमेव।
त्वमेव डाक्टर च नौकर त्वमेव
त्वमेव आटे में चोकर त्वमेव।
त्वमेव टूर ओपरेटर च
स्कूल बस का हेल्पर त्वमेव
त्वमेव बुक सेलर च
मिड डे मिल मनेजर त्वमेव।
त्वमेव माली च कुक त्वमेव,
त्वमेव गार्ड च बन्दूक त्वमेव।
त्वमेव भाट च भिश्ती त्वमेव
त्वमेव केवट च किश्ती त्वमेव।
त्वमेव ज्ञान कम्पोस्ट च
नॉलेज के गोबर त्वमेव
त्वमेव सेन्सस एनुमरेटर च
इलेक्सन में लेबर त्वमेव।
बिगड़ी मशीनरी के फीटर त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम टीचर त्वमेव ........
अरे आग तो आग है, हथेली से मसल के तो बुझेगी नहीं। आग बुझाने के सामान तो हों। चिल्लाने से और फूँक मारने से, बिजली की आग बुझती है क्या !!! हम सब कुछ बन सकते हैं, अब फायर फाइटर भी बन लेंगे मगर कुछ हथियार तो हों...
समाज को एक बार कम से कम उन शिक्षकों को धन्यवाद तो देना ही चाहिए जिन्होंने बच्चों को इस व्यवस्था की आग में झुलसने से बचा ही लिया।


( दिए गए छाया चित्र पर छपी सामग्री पढने हेतु चित्र पर डबल क्लिक करें)

Tuesday, October 6, 2009

आपने अपनी विनम्रता से हमारा दिल जीत लिया

वक्त बड़ा ही बेरहम होता है। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि दिल्ली शिक्षा विभाग में चंद्रभूषण कुमार का कार्यकाल डायरेक्टर के रूप में इतना छोटा होगा। आपने अपने अल्प समय में भी हमलोगों पर अपनी विनम्रता की छाप छोड़ी है। ये बात अलग है कि आज आप के साथ वक्त ने क्रूर मजाक किया है जब खजूरी ख़ास के विद्यालय में निर्दोष बच्चों की जान चली गयी। हम शिक्षक भी कब चाहते हैं कि ऐसी दुखद घटनाएं हों। ऐसा कौन सा इंसान होगा जो ऎसी घटनाओं से दुखी ना होता हो। हम भरसक जरूर कोशिश करते है कि ऐसा बुरा न घटे, लेकिन कभी कभी ईश्वर को कुछ और भी मंजूर होता है।

हम अभिभावकों को उनके बच्चे नहीं लौटा सकते मगर हम शर्मिन्दा हैं... हम उनको बचा नहीं सके......
आपका अल्प कार्यकाल रहा मगर आपने हम सभी शिक्षकों का दिल जीता।

साथ ही यह भी पहला मौका है जब हम डेल्टा के लोगों ने किसी डाइरेक्टर की प्रशंसा इस वेबसाईट पर की हो। हम लोग भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलने के लिए 'कुख्यात' हो रहे हैं।

आपसे पहले भी कुछ 'महामहिम' आए थे जो हम सभी को डंडे से हांकना चाहते थे। गाय का दूध और शिक्षक का ज्ञान डंडे मारके तो नहीं निकाला जा सकता।

ऐसे दौर में आप एक शालीन व्यक्ति नजर आए। हम सभी को बड़ी खुशी होगी अगर आप दुबारा हमारे बीच हों....हम आपकी शालीनता का सम्मान करते हैं और  शिक्षा विभाग में शालीनता और विनम्रता को पुनः स्थान देने के चलते

डेल्टा संगठन आपको सैल्यूट करता है.......
हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं...

" इस हादसे को सुनके करेगा यकीं कोई,
सूरज को एक झोंका हवा का बुझा गया "