Tuesday, October 6, 2009

आपने अपनी विनम्रता से हमारा दिल जीत लिया

वक्त बड़ा ही बेरहम होता है। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि दिल्ली शिक्षा विभाग में चंद्रभूषण कुमार का कार्यकाल डायरेक्टर के रूप में इतना छोटा होगा। आपने अपने अल्प समय में भी हमलोगों पर अपनी विनम्रता की छाप छोड़ी है। ये बात अलग है कि आज आप के साथ वक्त ने क्रूर मजाक किया है जब खजूरी ख़ास के विद्यालय में निर्दोष बच्चों की जान चली गयी। हम शिक्षक भी कब चाहते हैं कि ऐसी दुखद घटनाएं हों। ऐसा कौन सा इंसान होगा जो ऎसी घटनाओं से दुखी ना होता हो। हम भरसक जरूर कोशिश करते है कि ऐसा बुरा न घटे, लेकिन कभी कभी ईश्वर को कुछ और भी मंजूर होता है।

हम अभिभावकों को उनके बच्चे नहीं लौटा सकते मगर हम शर्मिन्दा हैं... हम उनको बचा नहीं सके......
आपका अल्प कार्यकाल रहा मगर आपने हम सभी शिक्षकों का दिल जीता।

साथ ही यह भी पहला मौका है जब हम डेल्टा के लोगों ने किसी डाइरेक्टर की प्रशंसा इस वेबसाईट पर की हो। हम लोग भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलने के लिए 'कुख्यात' हो रहे हैं।

आपसे पहले भी कुछ 'महामहिम' आए थे जो हम सभी को डंडे से हांकना चाहते थे। गाय का दूध और शिक्षक का ज्ञान डंडे मारके तो नहीं निकाला जा सकता।

ऐसे दौर में आप एक शालीन व्यक्ति नजर आए। हम सभी को बड़ी खुशी होगी अगर आप दुबारा हमारे बीच हों....हम आपकी शालीनता का सम्मान करते हैं और  शिक्षा विभाग में शालीनता और विनम्रता को पुनः स्थान देने के चलते

डेल्टा संगठन आपको सैल्यूट करता है.......
हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं...

" इस हादसे को सुनके करेगा यकीं कोई,
सूरज को एक झोंका हवा का बुझा गया "