Monday, September 8, 2008

यह शिक्षक दिवस समारोहों की पूर्णाहुति है

रोहतक (हरियाणा) में गेस्ट टीचर्स पर कल पुलिस की गोली चली, शिक्षक मारे गए। आन्दोलन कर रहे थे कि उनको कुछ आर्थिक सम्मान मिल जाए, इस महंगाई के दौर में कुछ खुल कर साँस ले सकें। कुछ सपने लेकर आए थे आंखों में कि शायद धरने -प्रदर्शन से कुछ मिल जाएगा। पहले ही आंसू आंखों में भरे थे तभी तो फरियाद करने आए थे। फिर आंसू गैस के गोले किस लिए जरूरी थे ! पहले ही हमें क्या कुछ कम दर्द था कि अब बन्दूक की गोली का भी दर्द देते हो ! पहले शिक्षक गुरु था,फिर मास्टर हुआ,फिर टीचर, 'टूटर', शिक्षा मित्र,पारा-टीचर,गेस्ट टीचर,कांट्रेक्ट टीचर और अब न जाने क्या -क्या होगा ! पहले शिक्षक एक जगह बैठ कर ज्ञान देते थे, शिष्य हाथ जोड़े खड़े रहते थे। अब शिक्षक खड़े रहकर 'ज्ञान' दे रहा होता है, 'स्टुडेंट' बैठे होते हैं । पहले हमें हाथ जोड़ा जाता था, अब हम हाथ जोड़ कर पढा रहे हैं, नहीं तो किसी थाने में पिटाई का केस बना देंगे। अनेक स्कूलों में क्लास रूम में कुर्सियां नही रखी जातीं कि कहीं टीचर बैठ कर कुछ आराम न करने लगे। फिर भी धन्य है ये देश, जहाँ किसी भावुक शिष्य ने लिख मारा था -"गुरु ब्रह्मा ,गुरु विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर"...... यूँ भी गुरु ब्रह्मा किसी चेयर पर तो बैठते नहीं....
रोहतक की घटना ने शिक्षक दिवस समारोहों की पूर्णाहुति कर दी....अब अपनी-अपनी क्लासों में चलिए....