
आज सभी बच्चों की छुट्टी कर दी गयी थी।
कल जिन शिक्षकों को सेमिनार में बुलाया गया है, उनको तो अलग अलग जगहों पर पहुँच कर सेमिनार की शोभा बढानी है और जिनको नहीं बुलावा आया है उनको स्कूल की शोभा बढानी है। जितनी हड़बड़ी में, जल्दी जल्दी और रोज बदलने वाले आदेश निकल रहे हैं, उसको देखकर शोले फ़िल्म के उस जेलर की याद आती है जो अपने सिपाहियों से कहता था ....हें... मैं अग्रेजों के जमाने का जेलर हूँ ...हें... आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ...हें...
कल जिन शिक्षकों को सेमिनार में बुलाया गया है, उनको तो अलग अलग जगहों पर पहुँच कर सेमिनार की शोभा बढानी है और जिनको नहीं बुलावा आया है उनको स्कूल की शोभा बढानी है। जितनी हड़बड़ी में, जल्दी जल्दी और रोज बदलने वाले आदेश निकल रहे हैं, उसको देखकर शोले फ़िल्म के उस जेलर की याद आती है जो अपने सिपाहियों से कहता था ....हें... मैं अग्रेजों के जमाने का जेलर हूँ ...हें... आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ...हें...