
अब ये बात अलग है कि आप लोग तब भी उसकी गुड मोर्निंग का जवाब नहीं देते थे। बस मन ही मन कुढ़ते रहते थे। अन्दर अन्दर जितनी गालियाँ दे सकते थे, दे लेते थे।
अन्दर अन्दर इसलिए चूँकि खड़े होकर उसकी गुड मोर्निग का जवाब देने पर सस्पेंड कर देती थी .....सुश्री...
"अब तो गाली खाकर भी बेमजा होते नहीं,
जिस्म ठंडा हो चुका, खूँ में रवानी भी नहीं...."
(कुमार पाशी)
मगर अब हम 'पोजिटिव' सोचने लगे हैं।उन्होंने हमको 'युवा' बने रहने और पोजिटिव सोचते रहने को कहा है।
ये अलग बात है कि हमारे साथ ऐसे लोग भी हैं जो सोचते हैं कि सर्व शिक्षा अभियान के पैसों को नाली में बहाया गया है.
उपलों में घी जितना भी डालो ...रहना उपले ही है, जिस दिन भी जलाना हो, आंखों में धुंआ भरेगा ही।
फिर भी, हम इंग्लिश सीख रहे हैं मैडम जी ... यू एंड योर डॉग्स कैन वाक इंग्लिश, टाक इंग्लिश बिकाज इंग्लिश इज वेरी 'फन्नी' लैंग्वेज....
हमारी कितनी चिंता रहती थी ...बिचारी को ...तभी तो कहा था कि दिल्ली के तुम शिक्षकों को इतनी इंग्लिश भी नहीं आती जितनी मेरे कुत्ते समझ लेते हैं...
अब हम थोड़ा थोड़ा समझ रहे हैं कि ये बड़े लोग कुत्तों को क्यों अपने बच्चों, अपने पति से भी ज्यादा प्यार करते हैं।
ये 'डोग्गी' कैन अंडरस्टैंड इंग्लिश, 'फन्नी' इंग्लिश, पीपुल लाईक यू कैन 'अंडर स्टैंड इंग्लिश'....
आप जहाँ भी रहें सुखी रहें,आबाद रहें,
पटना रहें, गोवा रहें या इलाहाबाद रहें,
बुरी नजर रखने वालों को जूते मिलें...
आपको इंग्लिश समझने वाले कुत्ते मिलें....
जय हो....