
प्रिय दोस्तों,
हम लोगों को सपने में भी यह उम्मीद नहीं थी कि डेल्टा नाम का यह छोटा सा शिक्षक संगठन इतने कम समय में देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा सम्मानित होने लगेगा। हम लोगों को 19 फरवरी 2010 को एक महत्वपूर्ण मीटिंग में बुलाया गया जहाँ माननीय शैलेश गाँधी (केंद्रीय सूचना आयुक्त) ने देश के उन बड़े-बड़े संगठनों को बुलाया था जो सूचना के अधिकार 2005 के क्षेत्र में काफी पहले से कार्यरत हैं और जिनकी एक राष्ट्रीय छवि है। हमें उनके बीच बैठकर सुखद आश्चर्य हुआ।
हम लोगों को सपने में भी यह उम्मीद नहीं थी कि डेल्टा नाम का यह छोटा सा शिक्षक संगठन इतने कम समय में देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा सम्मानित होने लगेगा। हम लोगों को 19 फरवरी 2010 को एक महत्वपूर्ण मीटिंग में बुलाया गया जहाँ माननीय शैलेश गाँधी (केंद्रीय सूचना आयुक्त) ने देश के उन बड़े-बड़े संगठनों को बुलाया था जो सूचना के अधिकार 2005 के क्षेत्र में काफी पहले से कार्यरत हैं और जिनकी एक राष्ट्रीय छवि है। हमें उनके बीच बैठकर सुखद आश्चर्य हुआ।
आज डेल्टा को जिस तरह शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है, इसका श्रेय केवल और केवल आप सभी की सामूहिक मेहनत को जाता है।
आप सभी को पुनः ढेर सारी बधाईयाँ।
दोस्तों, आज हमें जो पहचान मिल रही है वह भविष्य में हमसे बहुत मेहनत करवाएगी। हमें सूचना के अधिकार के सेक्शन -4 जो हर लोक सूचना अधिकारी को आदेशित करता है कि वह स्वयं ही सभी सूचनाओं को सार्वजनिक करे, के लिये बहुत काम करना होगा।
आप जिस वेबसाइट को चाहें, उसकी कमियां खोज सकते हैं। आप केंद्रीय सरकार के किसी भी विभाग की वेबसाइट को खोलिए और उन सभी बिन्दुओं को लिख लीजिये जो आपके हिसाब से, उसपर अवश्य होनी चाहिए थीं। आप अगर शिक्षा के क्षेत्र में ही काम करना चाहते हैं तो हर शिक्षा विभाग की वेबसाइट को पूरी तरह पढ़िए। आपको अगर लगता है कि इसमें कुछ जानकारियाँ अभी और होनी चाहिए थीं तो बस कलम उठाइए और लिख दीजिये, हमें या सीधे केंद्रीय सूचना आयोग को। ध्यान रहे कि केन्द्रीय सूचना आयोग केवल केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले विभागों की वेबसाइट को ही आदेश दे सकता है।
आप http://www.delta.org.in/ पर RTI पेज पढ़ें या कृपया इस लिंक को क्लिक करें
आइये, माननीय शैलेश गाँधी जी की इस नेक अपील को अपना जीवन उद्देश्य बना डालें।'
"अब जरा हिम्मत जुटा और अपने मन की कर गुजर,
चार दिन चर्चा रहेंगे और क्या हो जायेगा,
मुश्किलों के डर से डरके तू सफ़र मत छोड़ना,
तेरे दम से मुश्किलों में रास्ता हो जायेगा...."
(स्वर्णिमा तुषार)