Thursday, March 5, 2009

उप- प्रधानाचार्य के पद पर भी सीधी नियुक्ति हो

अगर टी जी टी, पी जी टी, प्रिंसिपल एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए कुछ पद प्रोमोशन से तथा कुछ पद सीधी नियुक्ति से भरे जाते हैं तो यही प्रक्रिया वाईस-प्रिंसिपल के लिए भी अपनानी चाहिए। परन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं है। आज दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। हर स्कूल में दो-दो वाइस-प्रिंसिपल बनाने के बदले अगर कुछ नए शिक्षक रख लिए जाते तो ज्यादा अच्छा होता। बारात के घोड़े लड़ाई में काम नहीं आते। हमें नए उर्जावान शिक्षकों तथा वाइस-प्रिंसिपल की क्षमता का उपयोग करना चाहिए। वाईस-प्रिंसिपल के सभी पदों को प्रोमोशन तथा सीधी भर्ती से भी भरा जाना चाहिए। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग या दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को पाँच वर्षों के अनुभवी शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए भी निर्देश देना चाहिए। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में भी हेड मास्टर के पदों को सीधी भर्ती से भरना चाहिए। अनेक शिक्षक आज पब्लिक स्कूलों में नारकीय जीवन जी रहे हैं। क्या उनका हक़ नहीं बनता कि वे भी सिस्टम में आ सकें? आज दिल्ली के स्कूलों में क्लर्कों की भारी कमी है। प्रिंसिपल तथा वाईस-प्रिंसिपल दिन भर वेतन बिल बनाने तथा वाउचर चिपकाने में व्यस्त रहते हैं। बेचारे "चाहकर" भी क्लास नहीं ले पाते। जबकि प्रिंसिपल साहब को प्रति सप्ताह 12 पीरियड तथा छोटे साहब को 18 पीरियड लेने अनिवार्य होते हैं। मगर हम लोग ऐसे अनेक लोगों को जानते हैं जो पिछले अनेक वर्षों से अघोषित "चाक डाउन स्ट्राइक" पर हैं। कमाल है कि हाल में सूचना के अधिकार में जब हम लोगों ने नज़फगढ़(दिल्ली) के ऐसे कुछ लोगों के बारे में पूछा जो कभी क्लास में नहीं जाते थे तो बड़ी अकड़ के साथ उन्होंने जवाब दिया कि वे क्लास में नहीं जाते, प्रैक्टिकल नहीं कराते, टीचिंग डायरी नहीं लिखते।
"किसी भी शहर के कातिल बुरे नहीं होते,
दुलार करके उन्हें हुकूमत बिगाड़ देती है."..
ऐसे लोगों पर हमें शर्म आती है। ये लोग शिक्षक समाज के लिए कोढ़ हैं। ऐसे लोग शिक्षकों के पेशे को बदनाम करते हैं। जो स्वयं अपनी ड्यूटी नहीं कर सकते वो दूसरो पर धौंस मारते हैं। डूबते टाइटैनिक को ये कैप्टन क्या बचायेंगे? आज गरीब बच्चों के स्कूलों में शिक्षक चाहिए, उर्जा से भरे हुए जवान ईमानदार प्रिंसिपल चाहिए, ना कि पुराने मठाधीश, जो अब ख़ुद तो पढायेंगे नहीं, वाईस प्रिंसिपल की वर्दी पहन के तानाशाही करते घूमेंगे...
एक आम शिक्षक को नहीं चाहिए दो-दो हिटलर...
खामख्वाह, आ बैल मुझे मार...