Monday, January 24, 2011

Why we have no respect for lady teachers


रात में बेघरों को गिनेंगी शिक्षिकाएं


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : महिलाओं के लिए क्राइम कैपिटल साबित हो रही दिल्ली में जनगणना विभाग ने महिला शिक्षकों को बेघरों की गणना करने का काम दिया है। इसे लेकर शिक्षिकाओं में डर का माहौल है। वह इस मामले में अपना नाम तो गुप्त रखना चाहती हैं, लेकिन बोलती खुलकर हैं। शिक्षिकाओं का कहना है कि पहले भी जनगणना के दौरान लोगों के प्रति उनके अनुभव खट्टे रहे हैं। एक शिक्षिका बताती हैं कि पिछली बार जनगणना के दौरान उन्हें वह रात अब भी याद है जब वह अपने पति के साथ जनगणना में व्यस्त थीं। रात में करीब आठ बज गया था, ऐसे में सैनिक फार्म स्थित एक घर में डॉक्टर का ब्यौरा उन्हें दर्ज करना था। सोचा कि सभ्य नागरिक होने के कारण ज्यादा परेशानी नहीं होगी। लेकिन घर में घुसते ही डॉक्टर ने उनका बैग और सामान एक ओर रखवा लिया। साथ ही हमें घर के पालतू कुत्तों से डराने लगा। उसका दोस्त क्षेत्रीय एसडीएम था। इसलिए कई बार थाने के चक्कर भी लगाने पडे़। एक अन्य शिक्षिका कहती हैं कि रैन बसेरे व सुनसान जगहों पर ठिकाना बनाने वाले बेघर लोग अक्सर नशे में धुत रहते हैं और वह ग्रुप में होते हैं। अगर अकेली शिक्षिका के साथ रात में कोई अनहोनी हो गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? शिक्षिकाएं कहती हैं कि बेघर परिवारों की गणना पूरी करनी है, साथ ही बेघर परिवारों के मुखिया का नाम भी दर्ज करना है। जबकि बेघरों का परिवार बहुत कम ही मिलता है। अधिकांश बेघर अकेले होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से समूह बनाकर रहते हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से अपने साथ पत्थर व डंडे लेकर सोते हैं। ऐसे में उनके पास जाना खतरा मोल लेने जैसा है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों को एक पुस्तिका भेजी है। जिसमें निर्देश दिए हैं कि दूसरे चरण की जनगणना के दौरान शिक्षकों को बेघर लोगों की गणना करनी है। बेघर लोगों की गणना का समय 28 फरवरी को रात आठ बजे से 12 बजे रहेगा। इससे पहले सभी शिक्षक नौ फरवरी से 28 फरवरी के बीच संस्थागत मकानों में रहने वाले परिवारों के सभी व्यक्तियों की गणना पूरी कर लें।

दैनिक जागरण 23/01/2011

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