Sunday, February 16, 2014

एक शिक्षक विरोधी सरकार का अंत हुआ

सभी शिक्षकों को बहुत बहुत बधाई
एक शिक्षक विरोधी सरकार का अंत हुआ

जिसने बड़ी ही बेशर्मी से सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर नक्सलवादियों माओवादियों की तरह केवल अपनी पार्टी के टोपी छाप, झाड़ू छाप वॉलिंटियर नियुक्त कर दिए ताकि ये अंगूठा छाप लोग जो एक परीक्षा देकर चपरासी के लायक नौकरी नहीं ले सके वे शिक्षकों प्रिंसिपलों को अपमानित कर सकें

जिसने गेस्ट टीचर्स को केवल झूठे आश्वासनों से भरा कागज का एक टुकड़ा पकड़ाने में भी १५-२० दिनों तक धरना अनशन करवाया

जिसने शिक्षकों को बस तंग करने के लिए स्कूलों का समय बढ़ा दिया था पर कड़े विरोध के बाद आदेश मात्र 48 घंटे में वापस ले लिया

जिनके अनेक नेता चुनावी सभाओं में सस्ती लोकप्रियता के लिए सस्ती भाषा का प्रयोग शिक्षकों और सरकारी स्कूलों के लिए करते रहे हैं कि ये शिक्षक फ्री का पैसा लेते हैं

पर स्वयं ४९ दिनों में ही दिल्लीके मुख्यमंत्री की कुर्सी से सर पर पाँव रखकर भाग चुके भगोड़े जी को तो पता चल चुका होगा

सरकारी काम कैसे होते हैं और सरकारी स्कूल क्यों ठीक नहीं चल पाते ?

फिर भी हम इसी सड़ी हुई भ्रष्ट व्यवस्था में संघर्ष करके अनेक कमियों के बावजूद कुछ तो पढ़ा रहे हैं

ये तो सोचिये केजरी बाबू ..!

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