Sunday, December 18, 2011

छात्राओं की सुरक्षा की अनदेखी

महिलाओं की सुरक्षा की दुहाई देनी वाली सरकार इस मामले को लेकर कितनी संजीदा है इसकी बानगी दिल्ली सरकार के स्कूलों से जुड़े एक मामले से हो जाती है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार स्कूली छात्राओं की सुरक्षा की दिशा में पहल करने को तैयार नहीं दिख रही है। शरारती तत्वों के पत्थर का शिकार होकर अपनी एक आंख गंवाने वाली छात्रा के मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को आठ महीने पहले सरकारी कन्या स्कूलों में छात्राओं की देखरेख के लिए दो-दो महिला होम गार्डो की तैनाती का आदेश दिया था लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर दिल्ली सरकार अदालती आदेश को लागू करने की दिशा में पहल नहीं कर रही है। दरअसल इसी साल मार्च महीने में यमुनापार के न्यू सीमापुरी स्थित राजकीय कन्या सर्वोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली छात्रा पर कैंपस के बाहर से किसी ने पत्थर मारा। पत्थर छात्रा की आंख पर लगा। उसे तुरंत जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान धीरे-धीरे उसकी आंख की रोशनी जाती रही। उसके बाद छात्रा के परिजनों ने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई। तीन महीने की सुनवाई के बाद चार मई 2011 को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह पीडि़त छात्रा को मुआवजा के तौर पर तीन लाख रुपये दे। साथ ही कोर्ट ने स्कूल में छात्राओं के असुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए राजधानी के सभी सरकारी कन्या स्कूलों में दो-दो महिला होमगार्ड की तैनाती का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश आए हुए आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ। हाईकोर्ट में मुकदमा लड़ रहे वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि जब इतने संवेदनशील मुद्दे पर दिल्ली सरकार आगे नहीं आ रही है तो फिर अन्य चीजों के बारे में क्या बात की जा सकती है? उन्होंने कहा कि पहले वे दिल्ली सरकार को पत्र लिखेंगे और सरकार ने फिर भी महिला होमगार्ड तैनात नहीं किए तो वो याचिका दायर करेंगे। वहीं सरकारी स्कूल के शिक्षकों के एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि कोर्ट का आदेश काफी अच्छा है और इसे हर हाल में लागू किया जाना चाहिए।

No comments: