Saturday, February 26, 2011

फरवरी मार्च में बच्चों की पढ़ाई की कीमत पर जनगणना कितनी उचित





नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: परीक्षाएं सिर पर हैं, मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ी है। वजह बहुत सीधी है। शिक्षकों की ड्यूटी जनगणना में लगी है जिसके नतीजे में बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। बच्चे स्कूल टाइम में भी निठल्ले घूम रहे हैं। आज बदरपुर में तीसरा पहर था और स्कूल के 50 बच्चे बाहर खेल रहे थे। पूछने पर जवाब मिला कि मास्टर जी जनगणना में गए हैं इसलिए हम यहां खेल रहे हैं। हमने स्कूल में जाकर पता किया तो किसी भी कक्षा में शिक्षक नहीं दिखे। एक बरामदे में एक शिक्षक दिखाई दिए, पता चला कि वो नेत्रहीन हैं। उन्होंने बताया कि बाकी सभी जनगणना में गए हैं। वो इसलिए बच गए क्योंकि नेत्रहीन हैं। कमोबेश बाकी स्कूलों का भी यही हाल है। यहां बता दें कि 5 मार्च से ही बोर्ड की परीक्षाएं हैं। जबकि 7 मार्च से अन्य बच्चों की परीक्षाएं हैं। शिक्षकों की जनगणना में ड्यूटी के चलते पिछली दो फरवरी से स्कूलों में पढ़ाई ठप है। बदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास दिल्ली सरकार के तीन स्कूल हैं। जिसमें सुबह व शाम की पाली में छह स्कूल चल रहे हैं। इसमें राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर-1, नंबर 2 व नंबर 3 शामिल हैं। इसी तरह सुबह की पाली में राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय के नाम से तीन स्कूल चल रहे हैं। इन छह स्कूलों में कुल मिलाकर 15 हजार के करीब बच्चे हैं। मगर जनगणना के चलते स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अपराह्न तीन बजे के करीब दैनिक जागरण संवाददाता ने देखा कि पचास के करीब बच्चे स्कूल के बाहर हैं और कई आ जा रहे हैं। इस पर राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर जाकर पता किया तो स्कूल की जिम्मेदारी देख रहे उपप्रधानाचार्य जनगणना कार्य से संबंधित एक बैठक में गए थे। स्कूल में 7 शिक्षक मौजूद थे। जिसमें एक नेत्रहीन थे व दो अस्थमा के मरीज। पूछने पर जवाब मिला कि कुल 49 शिक्षक हैं। जिसमें से 42 जनगणना में लगे हैं। स्कूल में 27 सौ बच्चे हैं, जिन्हें संभाल पाना मुमकिन नहीं है। बच्चों से पूछने पर पता चला कि आज तीन कक्षाओं की पढ़ाई हुई थी। उसके बाद मास्टर जी काम देकर चले गए कि काम पूरा कर लेना हम कल देखेंगे। लेकिन हम लोग कब तक स्कूल में बैठें। यही स्थिति विद्यालय नंबर एक व तीन में भी देखने को मिली। विद्यालय नंबर तीन में 45 सौ बच्चे हैं और 70 शिक्षक। मगर 55 शिक्षक जनगणना ड्यूटी पर। इसी तरह विद्यालय नंबर एक में दो हजार बच्चे हैं और 35 शिक्षक। मगर 28 ड्यूटी पर। ऐसे में कैसे चलें स्कूल। उधर स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कहने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी सुबह के समय जनगणना कार्य करने की है और दोपहर बाद स्कूल में पढ़ाने की। मगर हकीकत में ऐसा संभव नहीं है। मामले में शिक्षकों के लिए काम करने वाले संगठन दिल्ली एजुकेशनिस्ट फॉर लीगल एंड टीचिंग असिस्टेंस के महासचिव मदन मोहन तिवारी कहते हैं कि जनगणना के कारण शिक्षकों की कमी की समस्या पूरी दिल्ली की है। मगर शिक्षक पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं और दोनों काम में संतुलन बैठा रहे हैं।

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