Sunday, April 3, 2011

Computer Teachers are shown doors







नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों को हटा दिए जाने से कंप्यूटर की पढ़ाई बिलकुल ठप हो गई है। स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है शिक्षा निदेशालय का यह कदम बेहद गैरजिम्मेदाराना है। उनका कहना है कि एक ओर सरकारी स्कूलों के बच्चों को पब्लिक स्कूलों के बच्चों की तैयार करने के दावे किए जाते हैं वहीं शिक्षा का जरूरी अंग बन चुकी कंप्यूटर की पढ़ाई से सरकारी स्कूलों के बच्चों को महरूम कर दिया गया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से जल्द इस ओर ध्यान देने की बात कही है। बृहस्पतिवार को स्कूलों से अनुबंध पर रखे गए कंप्यूटर शिक्षकों के हटने के बाद जब शुक्रवार और शनिवार को बच्चे स्कूल आए तो उनका कंप्यूटर का पीरियड नहीं हुआ। दरियागंज स्थित सरकारी स्कूल के बच्चों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि वे कंप्यूटर में काफी कुछ सीख चुके थे। कंप्यूटर की पढ़ाई उन्हें अच्छी लग रही थी। लेकिन बीते दो दिन से कंप्यूटर का पीरियड ही नहीं हुआ है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के संगठन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि कंप्यूटर की शिक्षा होने से सरकारी स्कूल के बच्चे भी काफी बेहतर हो गए थे। लगता है कि शिक्षा निदेशालय गंभीरता को समझेगा और टेंडर की प्रक्रिया अपनाएंगे।




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Saturday, March 19, 2011

परीक्षा में नक़ल एक गंभीर समस्या- ऐसा कहते हैं शिक्षक



Please click this link for reading the news paper (Hindustan Dainik-Hindi 19/03/2011)
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Monday, March 14, 2011

Fire and Safety must be first priority



आग से स्कूलों को बचाने का हो पक्का इंतजाम


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : शिक्षा निदेशालय ने राजधानी के सभी स्कूलों में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम करने का निर्देश दिया है। शिक्षा निदेशक डॉ. पी.कृष्णमूर्ति की तरफ से जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी स्कूल प्रशासन और उप शिक्षा निदेशकों को सख्ती से इन निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी गई है। दरअसल स्कूलों में आग से बचाव के उपाय न होने पर कुछ समय पहले एक अविनाश मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसका जिक्र शिक्षा निदेशक के शुक्रवार को जारी आदेश में भी किया गया है। शिक्षा निदेशक ने कहा है कि जब भी कोई नई स्कूल बिल्डिंग बनाई जाए, उसमें नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया-2005 के आग से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। जो स्कूल चल रहे हैं उनमें स्कूल का दरवाजा इतना बड़ा होना चाहिए कि फायर ब्रिगेड की गाडि़यां आराम से अंदर आ सकें। जिस कक्षा में एक साथ 45 या अधिक बच्चे हों उसमें हर हाल में एक-एक मीटर चौड़े दो दरवाजे होने चाहिए। आपातकालीन लाइट की व्यवस्था स्कूल में होनी चाहिए। स्कूलों में फायर की जांच हर महीने हो। उधर दिल्ली के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की एसोसिएशन गेस्टा के महासचिव राजीव मित्तल व सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का संगठन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने कहा कि हरियाणा के डबवाली के एक स्कूल में आग से भयानक हादसा हुआ था। इसके बाद बीच-बीच में स्कूल में आग की कई घटनाएं हुई जिसको देखते हुए यह कदम बेहतर है। वहीं उनका कहना है कि बीच-बीच में जब शिक्षा निदेशालय जागता है तो व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाती है फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है। इसे लगातार बनाए रखने की जरूरत है।

Friday, March 4, 2011

Guest teachers extended for one more month


अतिथि शिक्षकों को एक माह का सेवा विस्तार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए जिन अतिथि शिक्षकों (गेस्ट टीचर) को कुछ माह पहले रखा गया था उन्हें शिक्षा निदेशालय ने फिलहाल एक माह का सेवा विस्तार दे दिया है। ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब पांच हजार है। पिछले साल अगस्त-सितंबर में रखे गए इन अतिथि शिक्षकों की सेवा 28 फरवरी को समाप्त हो गई। लिहाजा शिक्षा निदेशालय ने एक सरकुलर जारी कर उनकी सेवा को 31 मार्च तक बढ़ाया है। निदेशालय के सूत्रों की मानें तो इन शिक्षकों को लंबा विस्तार 31 मार्च के बाद दिया जा सकता है। दरअसल राजधानी के करीब 1000 सरकारी स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है। इसके चलते पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ता देख गत वर्ष शिक्षा निदेशालय ने विज्ञापन देकर पांच हजार के करीब अतिथि शिक्षकों भर्ती किए थे। इन्हें 28 फरवरी 2011 तक के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन इसी बीच सप्ताह भर पहले सभी अतिथि शिक्षकों ने जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया और उन्हें न केवल सेवा विस्तार देने की मांग उठाई बल्कि पूर्ण रूप से स्थाई करने की मांग मुख्यमंत्री से की। उनका कहना था कि उनके पास वे सभी शिक्षा हैं जो कानूनन होनी चाहिए। उनकी मांग पर ध्यान देते हुए फिलहाल शिक्षा निदेशालय ने उनका सेवा विस्तार 31 मार्च तक कर दिया है। सूत्रों का साफ कहना कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है और 31 मार्च के बाद सभी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होगी लिहाजा इन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा। मजबूरी में निदेशालय को इन्हीं शिक्षकों से काम चलाना पड़ेगा। सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि जब तक सरकार शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं करती, तब तक इन अतिथि शिक्षकों को हटाना टेढ़ी खीर है। अगर बिना किसी नई व्यवस्था के इन्हें हटाया गया तो बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

Wednesday, March 2, 2011

DELTA goes on war against Black Money... NDTV supports us




एक अत्यंत सुखद समाचार आप सभी मित्रों को.... भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में डेल्टा को एन डी टी वी (NDTV) के रूप में एक नया सहयोगी मिला है। संगठन को NDTV द्वारा अपने एक बहुत ही लोकप्रिय कार्यक्रम 'मुकाबला' में बुलाया गया जिसमें सत्य व्रत चतुर्वेदी (कांग्रेस) अतुल कुमार अनजान (सी पी आई), अनुपमा झा (ट्रांस्पैरेंसी इंटर नेशनल ) तथा बाबा रामदेव पेनलिस्ट के रूप में शामिल थे। एंकर अभिज्ञान प्रकाश अब तक के सर्वोत्तम कार्यक्रम का सञ्चालन करने में सबका सहयोग लेने में सफल रहे। हम सभी शिक्षाविद NDTV के सहयोग के लिये आभारी हैं।


We want to share a happy news with all of you DELTA was called by NDTV to share audience in its very popular programme named as MUQABLA with Political leaders like Satya Vrat Chaturvedi (Congress), Atul Kumar Anjaan (CPI) Anupama Jha (Transparency Internationl) and Baba Ramdev on 26 th February 2011। Learned anchor Abhigyan Prakash successfully navigated the show. We convey our heartiest gratitude to NDTV for providing a national platform to share our views on corruption and black money.

You can enjoy the show by this link too http://www.ndtv.com/video/player/muqabla/video-story/192120

Monday, February 28, 2011

गेस्ट टीचर्स कांट्रेक्ट पीरियड ३१ मार्च तक बढ़ा


Important News

सभी गेस्ट टीचर्स के कांट्रेक्ट को जो केवल आज 28 फरवरी तक था
उसे 31 मार्च 2011 तक बढ़ा दिया गया है।

Saturday, February 26, 2011

फरवरी मार्च में बच्चों की पढ़ाई की कीमत पर जनगणना कितनी उचित





नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: परीक्षाएं सिर पर हैं, मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ी है। वजह बहुत सीधी है। शिक्षकों की ड्यूटी जनगणना में लगी है जिसके नतीजे में बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। बच्चे स्कूल टाइम में भी निठल्ले घूम रहे हैं। आज बदरपुर में तीसरा पहर था और स्कूल के 50 बच्चे बाहर खेल रहे थे। पूछने पर जवाब मिला कि मास्टर जी जनगणना में गए हैं इसलिए हम यहां खेल रहे हैं। हमने स्कूल में जाकर पता किया तो किसी भी कक्षा में शिक्षक नहीं दिखे। एक बरामदे में एक शिक्षक दिखाई दिए, पता चला कि वो नेत्रहीन हैं। उन्होंने बताया कि बाकी सभी जनगणना में गए हैं। वो इसलिए बच गए क्योंकि नेत्रहीन हैं। कमोबेश बाकी स्कूलों का भी यही हाल है। यहां बता दें कि 5 मार्च से ही बोर्ड की परीक्षाएं हैं। जबकि 7 मार्च से अन्य बच्चों की परीक्षाएं हैं। शिक्षकों की जनगणना में ड्यूटी के चलते पिछली दो फरवरी से स्कूलों में पढ़ाई ठप है। बदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास दिल्ली सरकार के तीन स्कूल हैं। जिसमें सुबह व शाम की पाली में छह स्कूल चल रहे हैं। इसमें राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर-1, नंबर 2 व नंबर 3 शामिल हैं। इसी तरह सुबह की पाली में राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय के नाम से तीन स्कूल चल रहे हैं। इन छह स्कूलों में कुल मिलाकर 15 हजार के करीब बच्चे हैं। मगर जनगणना के चलते स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अपराह्न तीन बजे के करीब दैनिक जागरण संवाददाता ने देखा कि पचास के करीब बच्चे स्कूल के बाहर हैं और कई आ जा रहे हैं। इस पर राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर जाकर पता किया तो स्कूल की जिम्मेदारी देख रहे उपप्रधानाचार्य जनगणना कार्य से संबंधित एक बैठक में गए थे। स्कूल में 7 शिक्षक मौजूद थे। जिसमें एक नेत्रहीन थे व दो अस्थमा के मरीज। पूछने पर जवाब मिला कि कुल 49 शिक्षक हैं। जिसमें से 42 जनगणना में लगे हैं। स्कूल में 27 सौ बच्चे हैं, जिन्हें संभाल पाना मुमकिन नहीं है। बच्चों से पूछने पर पता चला कि आज तीन कक्षाओं की पढ़ाई हुई थी। उसके बाद मास्टर जी काम देकर चले गए कि काम पूरा कर लेना हम कल देखेंगे। लेकिन हम लोग कब तक स्कूल में बैठें। यही स्थिति विद्यालय नंबर एक व तीन में भी देखने को मिली। विद्यालय नंबर तीन में 45 सौ बच्चे हैं और 70 शिक्षक। मगर 55 शिक्षक जनगणना ड्यूटी पर। इसी तरह विद्यालय नंबर एक में दो हजार बच्चे हैं और 35 शिक्षक। मगर 28 ड्यूटी पर। ऐसे में कैसे चलें स्कूल। उधर स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कहने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी सुबह के समय जनगणना कार्य करने की है और दोपहर बाद स्कूल में पढ़ाने की। मगर हकीकत में ऐसा संभव नहीं है। मामले में शिक्षकों के लिए काम करने वाले संगठन दिल्ली एजुकेशनिस्ट फॉर लीगल एंड टीचिंग असिस्टेंस के महासचिव मदन मोहन तिवारी कहते हैं कि जनगणना के कारण शिक्षकों की कमी की समस्या पूरी दिल्ली की है। मगर शिक्षक पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं और दोनों काम में संतुलन बैठा रहे हैं।

Wednesday, February 2, 2011

Our Delhi


इस चित्र को यहाँ दिखाने के पीछे केवल यही मंशा है कि उन सभी का ध्यान आकर्षित किया जाय जो किसी न किसी रूप में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं.... नीति निर्माता है।
नैतिक मूल्यों के विकास में स्कूल सिस्टम का अब कोई योगदान नहीं रह गया है। सदियों पुरानी भारतीय परिवार व्यवस्था, ब्रह्मचर्य पालन और नैतिक मूल्यों की बात करना अब मूर्खता हो गयी है, अपने गुरु, माता पिता, बड़े- बुजुर्गों को आदर देना, चर अचर जगत का सम्मान करना ... पिछड़ेपन का प्रतीक बन गया है।
यह चित्र हमें आगाह करता है कि हमारी शिक्षा पद्धति और स्कूल आज के बच्चों को किस दिशा में धकेल रहे हैं।
कितने दुःख की बात है कि हम पहले तो अपने बच्चों को 'एडवांस' और 'स्मार्ट' बनाने के लिये उनकी हरकतों को बढ़ावा देते हैं और जब यही नौजवान माता पिता और गुरुओं का अपमान करते हैं, हमारे हाथ से निकल जाते हैं तो हम इनको कोसने लगते हैं !!!
आज शिक्षा एक महंगा खेल बन कर रह गयी है, लाखों खर्च करने के बाद भी माता पिता बच्चों के कम या ज्यादा कमाने पर उतने दुखी नहीं हैं जितने उनके व्यवहार पर... यही कटु सत्य है।
क्या अब समय नहीं आ गया है कि हम अपने स्कूलों में होने वाले इन बचकानी हरकतों के बारे में कुछ सोचें जिन्हें हम बाल अधिकार और उनके माता पिता के धन बल के चलते ... कुछ कहना नहीं चाहते ??
केवल एक मशीन बन कर रह गए हैं ...आज के शिक्षक।
हम शिक्षा नहीं, ज्ञान नहीं, केवल गत्तों के डब्बों में , कार्टून्स में सूचनाएं भर रहे हैं।

रोक सको तो रोक लो ...यह तो बस एक झांकी है ....कल ऐसे छात्र हर जगह दिखेंगे और हम चुपचाप देखते रहेंगे...उसी ऑटो वाले की तरह जो जीवन यात्रा में केवल पेट के लिये इन यात्रियों को ढो रहा है।
हम क्लास में इनको कुछ नहीं बोलते... हमें झूठे मुकदमों में जेल जाना है क्या?
शिक्षा तंत्र को शिक्षाविदों के हवाले कीजिये, अपनी मिट्टी और मूल्यों को पहचानिए, नहीं तो कल केवल सर के बाल नोचने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा।
ऐसा केवल पड़ोसी के बच्चों के साथ ही नहीं होगा, हमारे साथ भी होगा।



This picture is displayed here only to draw the attention of our policy makers.

The present education system have no interest in development of moral values in our students. Speaking in favour of the centuries old traditions of Indian family system, the 'Brahmacharya' and emphasis on development of moral values in students like showing respect to parents, elders, teachers, all living and non-living things of the world, is outdated now.

This picture shows where our education and schooling is going on.
We first blindly encourage our children to forget our Indian Culture to look advance and smart and later on repent when they disobey and insult their parents.
Many parents spend lakhs of money on so-called 'education' of their wards but it is also a bitter fact that most of them are not happy with the behaviour of their adolescent children.
Is it not a time to think again on school system where such 'childish' acts in classrooms are being ignored on the name of child rights and due to money power?
Teachers are working just like machines now to deliver 'information' and not the 'education'.
They are filling husk in 'cartoons'......ONLY...!!!
Now....these types of pictures are just the beginning...
Stop it and frame the education sytem again....or nothing will be left than to pull your hairs.
"घर से बाहर की फिजा का कुछ तो अंदाजा लगे
खोल कर सारे दरीचे और रोशनदान रख,
तपते रेगिस्तान का लंबा सफ़र कट जाएगा
अपनी आँखों में मगर छोटा सा नखलिस्तान रख,
दोस्ती, नेकी , शराफत, आदमियत और वफ़ा
अपनी छोटी नाव में इतना भी मत सामान रख,
सरकशी पर आ गयी हैं मेरी लहरें ए खुदा
मैं समुंदर हूँ, मेरे सीने में भी चट्टान रख...."
(आलम खुर्शीद)

Monday, January 24, 2011

We are prepared to march leg to leg with Govt



(Please double-click over the images to read in large font)
WE are prepared with all our skill and dedication to face the challenge of strike posed by Private school management which is an organised gang of capitalists in the mask of social service. These Private schools are only for money making and WE are deadly against the commercialisation of Education.

http://epaper.hindustandainik.com/PUBLICATIONS/HT/HT/2011/01/24/index.shtml

NGO running night shelters are competent for census of homeless


एनजीओ से करवाना चाहिए यह काम : तिवारी

सरकारी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। यह जनगणना शिक्षक वर्ग से न कराकर रैन बसेरे लगाने वाले एनजीओ से करानी चाहिए। उनका कहना है कि दिन में अपराधियों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने वाली पुलिस रात में तो अक्सर नदारद रहती है। ऐसे में रात में बेघरों की गणना करना शिक्षिकाओं के लिए चिंता का सबब है।

दैनिक जागरण २३/०१/२०११
(Please double-click over the image to read in large font)

Why we have no respect for lady teachers


रात में बेघरों को गिनेंगी शिक्षिकाएं


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : महिलाओं के लिए क्राइम कैपिटल साबित हो रही दिल्ली में जनगणना विभाग ने महिला शिक्षकों को बेघरों की गणना करने का काम दिया है। इसे लेकर शिक्षिकाओं में डर का माहौल है। वह इस मामले में अपना नाम तो गुप्त रखना चाहती हैं, लेकिन बोलती खुलकर हैं। शिक्षिकाओं का कहना है कि पहले भी जनगणना के दौरान लोगों के प्रति उनके अनुभव खट्टे रहे हैं। एक शिक्षिका बताती हैं कि पिछली बार जनगणना के दौरान उन्हें वह रात अब भी याद है जब वह अपने पति के साथ जनगणना में व्यस्त थीं। रात में करीब आठ बज गया था, ऐसे में सैनिक फार्म स्थित एक घर में डॉक्टर का ब्यौरा उन्हें दर्ज करना था। सोचा कि सभ्य नागरिक होने के कारण ज्यादा परेशानी नहीं होगी। लेकिन घर में घुसते ही डॉक्टर ने उनका बैग और सामान एक ओर रखवा लिया। साथ ही हमें घर के पालतू कुत्तों से डराने लगा। उसका दोस्त क्षेत्रीय एसडीएम था। इसलिए कई बार थाने के चक्कर भी लगाने पडे़। एक अन्य शिक्षिका कहती हैं कि रैन बसेरे व सुनसान जगहों पर ठिकाना बनाने वाले बेघर लोग अक्सर नशे में धुत रहते हैं और वह ग्रुप में होते हैं। अगर अकेली शिक्षिका के साथ रात में कोई अनहोनी हो गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? शिक्षिकाएं कहती हैं कि बेघर परिवारों की गणना पूरी करनी है, साथ ही बेघर परिवारों के मुखिया का नाम भी दर्ज करना है। जबकि बेघरों का परिवार बहुत कम ही मिलता है। अधिकांश बेघर अकेले होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से समूह बनाकर रहते हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से अपने साथ पत्थर व डंडे लेकर सोते हैं। ऐसे में उनके पास जाना खतरा मोल लेने जैसा है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों को एक पुस्तिका भेजी है। जिसमें निर्देश दिए हैं कि दूसरे चरण की जनगणना के दौरान शिक्षकों को बेघर लोगों की गणना करनी है। बेघर लोगों की गणना का समय 28 फरवरी को रात आठ बजे से 12 बजे रहेगा। इससे पहले सभी शिक्षक नौ फरवरी से 28 फरवरी के बीच संस्थागत मकानों में रहने वाले परिवारों के सभी व्यक्तियों की गणना पूरी कर लें।

दैनिक जागरण 23/01/2011

Saturday, January 22, 2011

आम जनता के लिये सरकारी स्कूल की नर्सरी ही एकमात्र सस्ते विकल्प


सरकारी स्कूलों में भी दाखिले का विकल्प


नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : पहली फरवरी को राजधानी के निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिले के लिए बच्चों की सूची जारी होगी। इसमें नाम आने पर बच्चों के अभिभावक काफी खुश होंगे। वहीं ऐसे अभिभावकों की भी कमी नहीं होगी जिन्हें निराशा हाथ लगेगी। ऐसे अभिभावकों के पास सरकार स्कूल का विकल्प है। सरकारी स्कूलों में 17 हजार सीटों पर नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए 28 मार्च से आवेदन पत्र मिल रहा है। नर्सरी दाखिले को लेकर निजी स्कूलों में मारामारी हो रही है। फॉर्म जमा करने के बाद भी रोज नए-नए झमेले सामने आ रहे हैं। वहीं सरकारी स्कूलों में भी दाखिले के लिए फार्म मार्च में जमा होंगे। ऐसे में अभिभावकों के पास सरकारी स्कूलों में दाखिले का विकल्प है। सरकारी स्कूलों में नर्सरी और प्री-प्राइमरी के लिए फॉर्म 28 मार्च से मिलने लगेंगे। 11 अप्रैल तक फॉर्म जमा लिए जाएंगे। 15 अप्रैल को ड्रा होगा, जबकि पहली सूची 18 अप्रैल को लगाई जाएगी। इसके साथ ही 19 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच दाखिले के लिए सभी दस्तावेज जमा करने होंगे। ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार के 216 सरकारी स्कूलों में नर्सरी में 17 हजार से अधिक बच्चों के लिए दाखिला होगा। पिछले साल से कुछ सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षा की व्यवस्था शुरू की गई है, लेकिन जानकारी के अभाव में अभिभावक उन तक नहीं पहुंच सके थे। सर्वोदय विद्यालय में नर्सरी की पढ़ाई होगी, जिसमें करीब 80 सीटें होंगी। इसमें 40 हिंदी माध्यम और 40 अंग्रेजी माध्यम के लिए दाखिले होंगे। नगर निगम स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाई होती है। फिर यहीं से छठी कक्षा में बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाता था। लेकिन कक्षा एक से पहले प्री प्राइमरी की पढ़ाई न निगम के स्कूलों में होती थी और न ही दिल्ली सरकार के स्कूलों में होती थी। सरकारी शिक्षकों का एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी का कहना है कि लोगों में नर्सरी से ही बच्चों को पढ़ाने के क्रेज को देखते हुए सरकार ने बीते साल कुछ सेकेंडरी स्कूलों में नर्सरी कक्षा की पढ़ाई शुरू की थी, जिसमें काफी सफलता मिली।

Principals will undergo Training for RTI





प्रिंसिपल सीखेंगे आरटीआइ का सबक



नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राजधानी के एक हजार सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों की क्लास लगेगी और उन्हें सूचना के अधिकार के तहत सवालों का जवाब देने का पाठ पढ़ाया जाएगा। दरअसल हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग ने शिक्षा निदेशालय को आदेश दिया था सभी सरकारी स्कूलों में ही आरटीआइ लगाने व उसका जवाब देने के लिए प्रिंसिपलों को ही सूचना अधिकारी नियुक्त किया जाए। इससे लोगों को स्कूल की जानकारी स्कूल से ही मिल जाए। उन्हें स्कूलों की हर छोटी-बड़ी जानकारी के लिए उपशिक्षा निदेशक के कार्यालय में न जाना पड़े। निदेशालय ने सूचना आयोग के आदेश पर अमल करते हुए स्कूल को आरटीआइ का जवाब देने के लिए अधिकृत कर दिया। लेकिन इसके लिए प्रिंसिपलों को आरटीआइ की बारीकियों से रूबरू कराना जरूरी था। आरटीआइ का जवाब देने के लिए प्रिंसिपलों का प्रशिक्षण अगले माह यानी फरवरी में शुरू किया जाएगा और कुछ प्रिंसिपलों का एक-एक ग्रुप बनाकर 10 वर्गो में प्रशिक्षण पूरा किया जाएगा। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की एसोसिएशन डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी की आरटीआइ पर सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने यह फैसला सुनाया था। फैसले में यह भी कहा गया था कि सभी स्कूलों में एक बड़ा डिसप्ले बोर्ड भी लगाया जाए और उस पर सभी योजना और छात्र हित के जुड़ी बातों को सार्वजनिक किया जाए। ताकि सभी इसे पढ़ें और ये सुविधाएं न मिलने पर इसकी शिकायत करें। बोर्ड पर शिक्षा निदेशालय, उप शिक्षा निदेशक के फोन नंबर के अलावा जोन का नाम सहित स्कूल के सूचना अधिकारी का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए। ऐसा न करने पर सूचना आयोग जाफराबाद और मंगोलपुरी के सरकारी स्कूलों पर जुर्माना भी लगा चुका है। डेल्टा के महासचिव मदन मोहन तिवारी ने सूचना आयोग के फैसले पर खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि स्कूल में बच्चों की मदद के लिए आने वाली करोड़ों रुपये की योजनाएं दबी रह जाती हैं बच्चों और उनके अभिभावकों को पता ही नहीं चल पाता। लिहाजा डिस्प्ले बोर्ड का निर्णय सूचना आयोग का अच्छा निर्णय है।

Smooth admissions in Nursery are necessity of common man

Friday, January 21, 2011

We are with the Govt against Public School Management




The Hon'ble Education Minister Arvinder Singh Lovely had stated (published in Dainik Jagran dated 21/01/2011, Page number 5) that the Govt could initiate the process for cancellation of recognition and decide to takeover all those public schools which were denying admission to students from Economic Weaker Section (EWS).

For Reference…

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=2&edition=2011-01-21&pageno=5

शिक्षा का अधिकार कानून में नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर स्कूलों को सरकार के अधीनस्थ चलाने का भी प्रावधान है। जरूरत पड़ी तो ऐसा भी किया जा सकता है। - अरविंदर सिंह लवली (शिक्षा मंत्री)

We are welcoming the motto of the Govt in support of general public. This Association of Govt schoolteachers named as DELTA is in full support of the Govt and statement of the Hon’ble Education Minister too.

We are ready to work harder and co-operate Govt during any strike by these schools too.

These public schools are behaving like private schools and Govt should---

1. Withdraw their recognition,

2. Takeover these schools to run by itself,

3. Initiate process of penal action too.

There are many Public schools which are denying proper salary to its teachers according to recommendations of VI th Pay Commission and exploiting them too. Many public schools have not paid arrears of VI th pay Commission to its employees too. Management of these public schools is habitually violating norms and regulations, guidelines of recognitions.

The aim of Right to Education (RTE) Bill 2009 could not be achieved by such non-cooperative behaviour of management of most of the public schools, which is a stern necessity of Delhi with its day by day increasing population.

Our Suggestions to Govt are-----

  1. Govt should start undertaking these schools.
  2. Govt Should form VKS (Vidyalaya Kalyan Samiti) in these schools too.
  3. Govt should nominate its own 50% representatives in every Public school management.
  4. The representatives should be from the reputed educationists, NGO, RTI activists, Freedom Fighters, ex-army men, schoolteachers and officials of Govt schools.
  5. All public schools should be kept under strict vigil from the nearby Govt schools.
  6. The concept of neighborhood schooling should be implemented strictly.

Message (Mail ID=2101201100819) has been sent to Hon’ble Minister.
Date 21/01/2011

Monday, January 17, 2011

हमने 50,000 का आंकड़ा छू लिया है


डेल्टा की वेबसाइट पर 50,000 विजिट पूरी हो गयी हैं। मीडिया के क्षेत्र में हम एक बहुत बड़े मुकाम पर पहुँच चुके हैं। ऐसा सौभाग्य बहुत कम ही लोगों और संगठनों को प्राप्त होता है जब उनके किसी काम को इस तरह सामाजिक स्वीकृति मिलती है। कोई भी अखबार या वेबसाइट अपने इन क्लिक के आधार पर ही अपने पाठकों की अनुमानित संख्या 1 x 20 मानता है और इस आधार पर आज डेल्टा की व्यूयरशिप 50000 x 20 =10, 00, 000 हो चुकी है।
अनेक लोग एवं संगठन अपनी वेबसाइट बनाते हैं परन्तु गूगल सर्च में जिस तरह लगातार 3 वर्षों से डेल्टा नंबर 1 पर चल रही है, इसका श्रेय केवल और केवल आपकी सामूहिक प्रतिबद्धता को जाता है।


The website of DELTA has crossed 50,000 visits today. We have touched a notable milestone in the journey of informative journalism and media. Such a great response and acceptance in society is granted in little number to persons or any organisation rarely. News papers and media houses estimate their readers or viewers on the basis of clicks by multiplying 1 x 20 as routine and the viewership of DELTA has crossed 50000 x 20 = 10, 00, 000 undoubtedly. Many persons and organisations launch their websites but the crown of No.1 is still on the head of DELTA in Google search since last 3 years and its credit goes ........
ONLY and ONLY to the collective dedication of all of you....!!
"मैं था ज़र्रा कारवां के साथ मंजिल तक गया
चाँद-सूरज राह में आते रहे, जाते रहे।"
(बेकल उत्साही)
(ज़र्रा= धूल, कारवां=काफिला)
(Please double-click over the image to see in large size)

Sunday, January 16, 2011

Doing it wrong

हिंदुस्तान 16-01-2011
(Please double click over the image to read in large fonts)

The news in Hindustan Hindi Daily


Are we inviting the another mishap


Perhaps the Directorate of Education has not learnt lesson from the loss of many innocent children in Khazoori Khas last year.

Please see the news published in Hindustan, a leading Hindi Daily on 16/01/2011.

The school timings for remedial classes should be rectified immediately.

Please click these links to read the e-paper Hindustan Dainik.

http://epaper.hindustandainik.com/PUBLICATIONS/HT/HT/2011/01/16/ArticleHtmls/³FWeÔ-d»F¹FF-£FªFcSe£FFÀF-Ie-§FM³FF-ÀFZ-ÀF¶FI-16012011006006.shtml?Mode=1


http://epaper.hindustandainik.com/PUBLICATIONS/HT/HT/2011/01/16/index.shtml

Wednesday, January 12, 2011

WE all should try to reduce suicidal tendency in students


Many Newspapers are trying to publish tips for better performance in final examinations of class 10 th and 12 th CBSE boards. These media houses are sending requests to us for co-operation. It is just a social service and you all are requested to send tips for preparations and stress management. The Govt has done enough for reducing stress in students due to CBSE Board Examinations. Many Newspapers, Psychologists and Sociologists are also doing their jobs in this field. Now it is time for you to work in this direction.

Every life is precious and we should also do something in reducing the suicidal tendency in the young generation. It is really very-very disappointing that small children are committing suicides due to marks in examinations.

You all are requested to send tips on e-mails of DELTA with your photographs to be published in leading newspapers.
This is non-monetary service and you will not be paid any honorarium or any payment...etc.
Please come forward and reduce the Suicidal tendency of students.

We have to stop suicides ANYWAY.


'हकीम और वैद्य यकसां हैं, अगर तफ्शीश अच्छी हो

हमें सेहत से मतलब है, बनफ्शा हो या तुलसी हो '
(अकबर इलाहाबादी )

Saturday, January 8, 2011

All schools will remain closed due to extreme cold till 13/01/2011

दिल्ली के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय एवं मान्यता प्राप्त व गैर मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूल १३ जनवरी २०११ तक बंद रहेंगे।
All schools will remain closed upto 13 th January 2011, due to extreme cold and unfavourable conditions of weather in Delhi.

We all teachers are directed to compensate the loss of studies.
We should welcome this appeal too.
Friends, brave the cold like a player...!!!
Please click this link to know more

http://www.edudel.nic.in/upload_2011_12/sch_cir_dt_08012011.htm

Wednesday, December 8, 2010

MCD teachers unite for their justified rights


Some officers in some Zones of MCD (Accounts) are raising doubts on the implementation of BUNCHING in pay scales of Primary Teachers.
We have no word to comment on their knowledge.
All teachers of MCD are requested to come against the 'dictatorship' of these local officers and WE will teach them a lesson...
because WE are the teachers and WE are made for it.

The BENEFIT OF BUNCHING is your right and the same types of scales has been implemented in Kendriya Vidyalaya Sangathan, Railways and others.

Please click this link to see the circular...

http://www.delta.org.in/form/kvs_prt.pdf

Sunday, November 14, 2010

Emergency News


Dear friends...

Please go deep in this news and find out the realities.

Click this link

http://khabar.ibnlive.in.com/news/43256/3/19?ref=nf

Tuesday, October 26, 2010

Plese visit older posts of previous years too


Dear Friends,

It has come to our notice that a number of same type of enquiries are coming in our mail inbox and un-necessarily diverting our energy and resources. We had published many good news and articles in previous years too. We are requesting you all to open older posts before asking for a question or a decision of Govt Deptt.
Thanks
DELTA

Sunday, October 24, 2010

Govt schools are directed to accept RTI applications















Principals are directed again to take RTI applications in schools




हमारे मीडिया सहयोगी दैनिक जागरण तथा



(बड़े आकार में पढ़ने के लिये साथ छपे चित्र पर डबल क्लिक करें)

Wednesday, October 13, 2010

Our Third milestone - 2010


We celebrated our Third Anniversary on 13/10/2010 (shashthi tithi of shardiya navaratra).

Yet, we have done a little effort for the welfare of Educationists as our tribute towards those teachers who had taught us in schools in our early childhood, there are many new challenges still before us.

We have to unite all educationists for RESTORATION OF EARNED LEAVE and struggle for implementation of BENEFIT OF BUNCHING in pay scales.

DELTA was the first organisation which uploaded PAY SCALES WITH BUNCHING on its website for welfare of Educationists in last September 2008. Our data were not easy to understand and some people denied us too.

We were silently watching the progress and accepted our criticism with smiles.

The Joint Anomaly Committee formed at Central Level has not given its final report up to now and the process of anomaly removal is pending in all departments.

The up gradation (step-up) orders of pay scales issued in March 2010 are useless as this will club many seniors at the same entry pay of Rs 17140 or 18150 along with their juniors.

Then what benefit of seniority are they going to get!!!

Some 'groups' are engaged in spreading rumours about the implementation of basic x 2.28 from last 18-20 months but nothing has come out from their Pandora's boxes......

Today the scene is clear....
1. Earned Leave facility has been scrapped and we are at the same position of 'before 1981'.
2.Benefit of BUNCHING is our right for removal of anomaly and it MUST be implemented to avoid loss of about 3-4 thousands per month in our salary.

PRT pay scales were accepted from the same methods of BUNCHING as described by us by all education deptts like KVS, NVS, DoE, MCD, NDMC, CTSA, many State and UT Govt, Railways, Autonomous Bodies etc.

All these Govt entities had accepted that TGT pay scales will start from Rs. 17140 with GP 4600 whereas PGT from Rs 18150 with GP 4800....same as described by us since last september 2008.

Yet, there are some teachers' unions which are still demanding 7450 x 1.86 and 7500 x 1.86.

We are not opposing their demands........Our best wishes are always with them.

Our responsibility is to keep all Educationists alert for their legal rights only.

All information published by DELTA were proved '24-carat pure and genuine' by time and we gained credit throughout the country.

There are many Associations of Educationists in India and we had always tried to unite them for teachers' cause too in last three years.

We will request all of them to unite for a single demand ''BENEFIT OF BUNCHING" as stated in Rule 7 of 6 CPC and start dharna pradarshan, gherao etc before going to a court.

We had done better in the field of RTI Act 2005 and RTE Act 2009 also in last years and worked better with many NGOs, social activists and media-persons.

All of you are advised to come close to general public by helping and motivating them to use RTI againt exploitation and corruption. It will re-establish our respect in society.

Remember those days when teachers were writing and reading letters of villagers. They were seen as reliable well wishers of family and even many newly married brides were sharing their grief and pain with them.
We have to try to gain same respect and reliablity in society by drafting RTI applications for general public in coming years.

Many Govt Deptts have disclosed their expenditures under section-4 implementation now.

All of you are requested to see the expenditures done by Organising Committee of Commonwealth Games 2010 which had spent crores of tax money on "CONSULTANCY. "
This information is available on page ' RTI' on the website too.
और अंत में ....
"पड़ी समय से होड़, खींच मत तलवों से कांटे, रूककर,
फूँक फूँक चलती न जवानी, चोटों से बचकर, झुककर....

(रामधारी सिंह 'दिनकर')

Friday, September 10, 2010

Right To Education, RTE cell, in DoE now....




A good news has come from Directorate of Education , Delhi.

The DoE is now agreed to our suggestion to constitute an RTE cell in its Head Office.

We had published a suggestion on 28th July 2010 on this BLOG with an idea to create an RTE Cell with expert consultants and educationists for help of DoE.

You can see the blog published below.

Today, the Director has issued an order regarding the Constitution of RTE cell on 8th Sept 2010.

The order can be viewed on this link
http://delta.org.in/form/rtecell.pdf

We, first of all convey our thanks to all those friends throughout the country who usually write us for publishing good ideas on our BLOGS without any personal interest and publicity.

It is really exemplary.

We, are grateful to all officers, NGOs, Educationists, Lawyers, RTI activists and all concerned who praise and implement our suggestions and keep our morale high.

Now, all of you are requested to keep writing positive suggestions to this cell for better implementation of this nice RTE Act 2009.

Please, remember the fact that all other states of India follow Delhi......our DELHI....saaddi Delhi....

और अंत में...चलते चलते...

"ना कोई ख्वाब हमारे हैं, न ताबीरें हैं,
हम तो पानी पर बनाई हुई तस्वीरें हैं"......
( कतील शिफाई )

Tuesday, September 7, 2010

Sunday, August 1, 2010

Wednesday, July 28, 2010

Oh No...It was unexpected


(Please double-click over scanned images to read in large size)
The DCPCR (Delhi commission for Protection of Child Rights) fined Director Of Education for violation of Right to Education Act 2009.
It was unexpected!!!
DoE needs expert consultants to avoid such embarrassment which bows our heads before the whole country. All Officers are over-burdened due to routine works and have no time to go deep in the RTE Act. We are posted in the capital of India and need more competency than others.
The DoE should consider to establish an RTE cell with a team of consultants and educationists invited from all section of society.
We, the Educationists of DELTA, who are mainly associated with schools of Directorate of Education , should spare some time for a better implementation of this nice Act.
All of you are requested to keep writing and sending suggestions regularly to the authorities. We must encourage all persons who can implement RTE Act in its better form because such legislations come rarely in decades.
We should work collectively for a positive impact of this Act on society.
A careful handling of this Act will not create havoc but help to all.
We have sympathy with all over-burdened officers.....
"किस रुत के मुन्तजिर हैं ये पेड़ रास्तों पर,
खुद धूप में खड़े हैं, साया मुसाफिरों पर'....
(शहजाद अहमद )

Friday, July 23, 2010

देर आयद, दुरुस्त आयद....

एक बहुत अच्छा फैसला शिक्षा विभाग से आया है कि अब सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों (एडेड) में आठवीं तक के बच्चों से कोई फीस (पी डब्ल्यू एफ) नहीं ली जायेगी। साथ ही, ली गयी फीस भी वापस कर दी जायेगी। यह निश्चित ही एक सही कदम है और फीस वापस करने के फैसले ने एक बार फिर 'डेल्टा' के शिक्षाविदों की साख जमा दी है। इस फैसले से लाखों गरीबों को 'महंगाई डायन' से कुछ तो राहत मिल ही जायेगी।

हम सबसे पहले माननीय शिक्षा मंत्री श्री अरविंदर सिंह लवली और उनकी टीम को धन्यवाद देना चाहेंगे कि उन्होंने हम 'डेल्टा' के शिक्षाविदों के सुझाव को महत्व दिया और व्यक्तिगत रूप से इस मामले में रुचि लेकर एक सकारात्मक कदम उठाया।

हमने विगत १३ अप्रैल को "दैनिक जागरण" जैसे हमारे मीडिया सहयोगी और 'पारदर्शिता' एन जी ओ की सहायता से इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था कि १ अप्रैल को शिक्षा का अधिकार एक्ट लागू हो जाने के बाद कोई भी पैसा किसी भी रूप में कैसे वसूला जा सकता है ! 'पारदर्शिता' ने सैकड़ों बच्चों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को भी लिखा। इसके अलावा इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में भी ले जाया गया है।

दोस्तों, जरा सोचो तो कि अगर हम इसी तरह सही दिशा में काम करते रहे तो हम क्या कुछ नहीं कर सकते! आप सभी बधाई के पात्र हैं और इस उपलब्धि का श्रेय केवल आपकी सामूहिक प्रतिबद्धता को जाता है।
आपने पच्चीसों वर्ष पुरानी फीस व्यवस्था को एक झटके में बदल डाला है।

इस फैसले से लाखों गरीब बच्चों को फायदा होगा। साथ ही हम शिक्षकों को भी बार-बार रसीद काटने की क्लर्की से छुटकारा मिल जाएगा। अधिकारियों ने हमारा 'लास्ट वर्किंग डे' बंद करा दिया, हमने इस फीस का 'टंटा' ही ख़तम करा दिया......
इसे ही कहते हैं,
कभी गाड़ी पर नाव, कभी नाव पर गाड़ी....

फिर भी एक बात समझ नहीं आती कि पी टी ए (पैरेंट टीचर एसोसिएसन) के नाम पर पैसा क्यों वसूला जाएगा? इसका सर्कुलर साथ ही क्यों नहीं निकाला गया? अनेक प्रिंसिपल प्रतिभा स्कूलों में २५० रुपये तक 'वसूल' रहे हैं और बच्चों को रसीद तक नहीं दे रहे हैं। इन पैसों को अनाप सनाप तरीके से खर्च किया जा रहा है। एक 'महारानी' जो दक्षिणी दिल्ली के एक प्रतिभा विद्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं अपने शिक्षकों से खुलेआम कहती हैं कि किसी भी तरीके से मुझे एक हज़ार रुपये रोज चाहिए।
तुम कहीं से भी बिल ले आओ।
बेचारे 'मास्टरजी' बिल ढूँढते डोल रहे हैं।

हमें डर है किसी दिन चूहे के बिल को ढूँढते-ढूँढते सांप के बिल में हाथ ना दे दें.........

Wednesday, July 21, 2010

No Fee will be charged in Govt Schools NOW...

( Please double-click over the news paper image to read in large sized fonts)
A very nice decision has come today from the Directorate of Education , Govt. of Delhi that it will not 'Charge' any fee like PWF (Pupil Welfare Fund) from students up to class VIII in present session 2010-11 and ordered all concerned to return the collected fees to the students in favour of Right To Education Act 2009.
DELTA had opposed the collection of fees in Govt Schools and a news was published in Dainik Jagran dated 13th April 2010. The scanned image of that news is available below on this blog posted on the same day.
Please click this link to read Internet edition too

Friends, this is another victory for our ideals that only, WE, the Govt school teachers can change the present conditions of Govt schools and the image of teachers in society.
Congratulations to you all......

We thank and pay our heartiest gratitude to Respected Minister Arvinder Singh Lovely and his team of officers of Education Dept who accepted our suggestions and took such a nice decision in favour of general public.
We are waiting another circular on scrapping of collection of PTA (Pupil Teacher Association) fund also and lightly surprised why this 'left out word' is not included in this circular too.
This decision will bring happiness certainly on the faces of lakhs of poor families and students in coming future. Rs. fifty note is not a big amount for those policy makers who are born with a silver spoon in their mouth but it is still a 'dream' for many students who come in our classes to face humiliation by classmates with a patch hand stitched on their pants and shirts.

Can you feel the pain of that student who have no money to buy a new shirt or pant which comes hardly in Rs 65 on footpath of Mangal Baazar......but being forced 'by' sir or madam to pay this amount as fee in a 'GOVT' school........